ईश्वर विश्वास की आवश्यकता पर हुई राष्ट्रीय संगोष्ठी
एकलव्य विश्वविद्यालय दर्शन विज्ञान विभाग में आयोजित
राष्ट्रीय संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप मे वक्ता डा. मेवालाल पाटीदार ने बताया की योग से जुड़ने के लिए तप की आवश्यकता होती है और तप की साधना से योग सिद्धि होती है योग सिद्धि से परम तत्व की अनुभूति होती है और अनुभूति से साक्षात तत्व का दर्शन होता है आज के समय में तत्वज्ञानी हैं किंतु तत्व द्रष्टा नहीं है पाटीदार जी ने इस विशिष्ट व्याख्यान में उपस्थित सभी को साधक बताया और तप करने की प्रेरणा दी
ईश्वर अंश जीव अविनाशी की विस्तृत व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि कर्म का जो विपाक अर्थात् फल होता है उसका जो आशय है उस संस्कार से अपरामृष्ट ईश्वर होता है l
प्राकृतिक चिकित्सा योग विज्ञान संकाय के अधिष्ठाता प्रोफ़ेसर उषा खंडेलवाल ने भारतीय दर्शनों की समीक्षा करते हुए बताया कि न्याय दर्शन, वेदांत दर्शन, सांख्य योगदर्शन, पुराण इतिहास, मीमांसा सभी दर्शनों में ईश्वर को साकार एवं निर्गुण रूप की विस्तृत विवेचना की गई है आवश्यकता है कि आज के युवा वर्ग के सभी विद्वानों को इन ग्रंथों को देखना चाहिए अध्ययन करना चाहिए क्योंकि बिना अध्ययन के कुछ समझना अपने आप में अधूरा होता है इसलिए सभी को दर्शन में ईश्वर तत्व प्रतिपादित ज्ञान का परिमार्जन करना चाहिए
मंच संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ अनूप कुमार मिश्र ने किया राष्ट्रीय संगोष्ठी में प्राध्यापक अधिष्ठाता एवं छात्र-छात्राओं की उपस्थिति रही