देवेंद्र कुमार सक्सेना जो कि समाज संस्कृति सेवी हैं आप राजकीय कला कन्या महाविद्यालय कोटा राजस्थान में तबला वादक पद पर कार्यरत हैं । देवेंद्र जी द्वारा होली पर्व पर प्रेरणादायक काव्य अभिव्यक्ति
भारतीय देव संस्कृति का रंग…
H – -Hate हेट घृणा
O–out बाहर
L– love प्रेम
I-in अंदर
होली पर घृणा को बाहर निकालना और प्रेम को अंदर करना
भक्त प्रहलाद श्रध्दा भक्ति आस्था के प्रतीक हैं तो हिरण्याक्ष, हिरणकश्यप, उनकी बहन होलिका अन्याय और अधर्म के प्रतीक हैं।
अधर्मियो से सर्वशक्तिमान परमात्मा पवित्र मन वाले भक्त प्रहलाद जैसे अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।
अतः रंगों का त्यौहार होली सभी के मन में नफरत का विनाश करके प्रेम श्रध्दा भक्ति का दीप जलाने की सकरात्मक प्रेरणा देता है।
सबके मन में प्रेम जगाने होली आई।
सबके मन में घृणा मिटाने होली आई।
सबके मन में भय मिटाने होली आई।
जन जीवन में रंग भरने होली आई।
उत्साह और उमंग के चंग बज रहे।
रंगोली से घर और आंगन सज रहे।
अहंकार अधर्म होली में जल रहें।
अहंकार अन्याय मिटाने होली आई।
भक्ति की शक्ति बढ़ाने होली आई।
प्रेम की प्रेरणा जगाने होली आई।
जाति पाति का भेद मिटाने होली आई ।
आओ होली पर संकल्पित हो।
अपने भारत का गौरव बढाये।
भारतीय देव संस्कृति का रंग।
हर मस्तक हर रोज लगाये।