नंदिनी शर्मा जानकी देवी बजाज महिला महाविद्यालय कोटा में बीएससी की छात्रा है।
आप कई काव्य प्रतियोगिता में शामिल होकर पुरस्कार जीत चुकी है।
प्रस्तुत है इस कविता में नंदिनी ने अपनी लेखनी के माध्यम से एक पिता के मन में अपनी बेटी को लेकर जो भाव ,प्यार, दुलार भरा है उसको बहुत भावपूर्ण तरीके से व्यक्त किया है।
नंदिनी की मन को छूने वाली कविता …. बिटिया रानी मेरी प्यारी करें वो मुझे दुलार
बिटिया रानी मेरी प्यारी करें वो मुझे दुलार,
आंगन में वो खेलें ऐसे जैसे खिले बहार।
हंसती है वो ऐसे जैसे, खिले कहीं गुलाब।
बातों से वो छेड़े मेरे, हर एक मन के तार
बिटिया रानी मेरी प्यारी, करें वो मुझे दुलार।
चलती है झनकार अपनी पायल की झंकार।
देखें मुझको ऐसे जैसे में हूं कोई सुपर स्टार।
बिटिया रानी मेरी प्यारी करें वो मुझे दुलार
आंगन में वो खेलें ऐसे, जैसे खिले बहार।
आंखों में वो देख उदासी, होती है उदास
कांधे पर वो हाथ रखें, जैसे कोई पास
बिटिया रानी मेरी प्यारी, करें वो मुझे दुलार।
मन में वो लिखती हैं अपने, सपनों की किताब
जिस को पुरा करना मेरा, एक ही बस ख्वाब
बिटिया रानी मेरी प्यारी, करें वो मुझे दुलार
आंगन में वो खेलें ऐसे जैसे खिले बहार।
कभी वो मुझसे रुठे, जैसे हो घंघोर बरसात,
जब आकर मेरे गले में लिपटे, जैसे इंद्र की चाप।
बिटिया रानी मेरी प्यारी, करें वो मुझे दुलार,
आंगन में वो खेलें ऐसे जैसे खिले बहार।
नंदिनी शर्मा
जानकी देवी बजाज महिला महाविद्यालय कोटा