• 1400 बंदिशें प्रचलित अप्रचलित तालो में गाकर अनूप मोघे एवं वैशाली मोघे ने अनूठा कीर्तिमान स्थापित किया…..

बात लगभग 5 वर्ष पूर्व की है जब 10 – 11 अक्टूबर 2018 में माधव संगीत महाविद्यालय ग्वालियर के सौ वर्ष पूरे होने पर आयोजित संगीत की राष्ट्रीय कार्यशाला में शामिल होने के लिये मैं कोटा से अपनी धर्म एवं पुत्री के साथ ग्वालियर गया था। वहां हमारी मुलाकात शासकीय के आर जी महाविद्यालय ग्वालियर के संगीत प्राध्यापक गुरू पंडित अनूप मोघे एवं संगीत शिक्षिका श्रीमती वैशाली मोघे से हुई।

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सेमिनार के बीच में खाली समय में बंदिश पर चर्चा हुई..उन्होंने मेरी पुत्री एवं धर्म पत्नी से संगीत ऋषि पंडित रामाश्रय झा रामरंग जी एवं डॉ 0 प्रेम प्रकाश जौहरी मनहर पिया की बंदिशें सुनी और अपनी कई यादगार बंदिश गाकर सुनाई.. उनकी विलक्षण प्रतिभा और सिखाने की लगन देखकर मैनें उनसे अनुरोध किया कि आप बंदिश को शोशल मीडिया यूट्यूब चैनल पर नियमित प्रसारित करें। ताकि भारतीय राग ताल का यह आनंद देश विदेश के लोग ले सके।

उल्लेखनीय है कि तीन वर्ष पूर्व मई से उन्होंने इस अभियान की शुरुआत की और आज तीन साल में भारत के प्रमुख पर्वो त्योहारों सहित 1400 बंदिशें गाकर सिखाकर उदियमान विद्यार्थियों एवं संगीत जगत को प्रेरित और आश्चर्यचकित कर दिया

श्री अनूप मोघे विश्व प्रसिद्ध तानसेन समारोह में अपने विद्यार्थियों के साथ ध्रुवपद विगत पांच वर्षों से गा रहे हैं। मध्य प्रदेश महाराष्ट्र उत्तर प्रदेश हरियाणा में उनके संगीत कार्यक्रम भी हुए।

अमेरिका, पाकिस्तान बांग्लादेश, पाकिस्तान मारीशस, भारत आदि में ‍ऑन लाइन संगीत प्रशिक्षण दे रहे हैं।

आपने कई प्रसिद्ध सेमिनारों में सहभागिता एवं सहयोग किया।

आप प्रयोग धर्मी संगीत चिंतक हैं आप संगीत वर्ग पहेली भी बनाते हैं।

ताश के बावन पत्तो में राग ताल लिखे एवं शतरंज के 64 खानों में राग लिखे।

एक बार 80 मिनट में 64 बंदिश विभिन्न प्रचलित अप्रचलित तालों में गाकर सभी को मंत्र मुग्ध कर दिया।

कई बार तारीख के हिसाब से ताल का चयन कर बंदिशें गाकर प्रयोग धर्मिता का परिचय देते हैं। आपके इस सांगीतिक अनुष्ठान में आपकी धर्म पत्नी श्रीमती वैशाली मोघे पूरा साथ देती हैं।

पंडित मोघे ने संगीत की शिक्षा कई गुणीजनों से प्राप्त की जिनमें उनकी माता श्रीमती प्रतिभा मोघे, डॉ 0 अरूण बांगरे श्री बसंत आफले प्रमुख हैं। शारदा नाद मंदिर राम कृष्ण आश्रम ग्वालियर की संगीत अध्यापक वैशाली जी ने श्रीमती विनया गोखले से संगीत की शिक्षा प्राप्त की।

करते जो सहकार सफलता उनकी चेरी है। हूए नहीं सफल वे जिन्होने शक्ति बिखेरी है ।

 

लेखक :

देवेंद्र कुमार सक्सेना, तबला वादक संगीत विभाग, राजकीय कला कन्या महाविद्यालय कोटा

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