आध्यात्मिक मान्यताओं का वैज्ञानिक प्रतिपादन शोध ग्रंथ लेखिका साहित्यकार डीन डॉ 0 ऊषा खंडेलवाल “साहित्य श्री” से सम्मानित किया जाएगा।

डॉ 0 ऊषा खंडेलवाल विभागाध्यक्ष दर्शन शास्त्र एकलव्य विश्व विद्यालय दमोह मध्य प्रदेश को कोटा राजस्थान में 9 सितम्बर को भारतेंदु हरिश्चन्द्र जयंती महोत्सव समारोह में साहिल श्री सम्मान से विभूषित किया जाएगा।

डॉ0 ऊषा खंडेलवाल का जन्म 7 जनवरी सन 1961 को प्रातः कालीन बेला में रायगढ़ मध्य प्रदेश में हुआ। बचपन से ही आप संगीत साधना , गायत्री मंत्र की साधना , सत् साहित्य का स्वाध्याय लेखन व नृत्य आदि में रुचि रखती थीं। आपने बचपन से ही संगीत साहित्य के क्षेत्र में कई पुरस्कार अर्जित किए।

आपने सैंट नॉरबर्ट कान्वेंट स्कूल जबलपुर से मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद बी.एस. सी . बायोलॉजी साइंस से होम साइंस कॉलेज से उत्तीर्ण की। उसके पश्चात रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय से एम. ए. दर्शनशास्त्र से किया एवं मेरिट लिस्ट में संभाग में तृतीय स्थान प्राप्त किया।

24 जुलाई सन 1983 को गुरु पूर्णिमा के दिन शांतिकुंज तीर्थ स्थान में परम पूज्य गुरुदेव , परम वंदनीय माताजी के संरक्षण में आपका विवाह डॉक्टर अशोक खंडेलवाल के साथ संपन्न हुआ। इस प्रकार शांतिकुंज में रहते हुए शोध कार्य किया एवं वहाँ की सामाजिक सांस्कृतिक साहित्यिक शैक्षणिक गतिविधियों में सक्रिय भूमिका निभाई।

आपने संगीत विभाग शांतिकुंज हरिद्वार में श्री देवेन्द्र कुमार सक्सेना से तबला वादन , श्री प्रताप शास्त्री जी से संगीत, ढफली, श्री बसंत दुबे जी से बैंड एवं एकार्डियम की शिक्षा ली थी|

आप एक मासीय शिविरार्थियों को भी कर्मकांड , संगीत एवं संभाषण का प्रशिक्षण देती थीं।

डॉ उषा खंडेलवाल ने बड़े-बड़े प्रोग्राम में संगीत एवं कर्मकांड की प्रस्तुतियां दी है आपने गायत्री विद्यापीठ में प्राचार्य के पद पर भी कार्य किया।

पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी पर आपने विश्व में प्रथम शोध ग्रंथ “आध्यात्मिक मान्यताओं का वैज्ञानिक प्रतिपादन ” लिखा इस ग्रंथ पर आपको रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर से 3 अक्टूबर 1993 में पी-एच.डी.की उपाधि प्राप्त हुई।

1983 से 2001 तक आप शांतिकुंज में रहीं। इस बीच आप गायत्री विद्यापीठ में भी प्राचार्य के पद पर कार्यरत रहीं। इसी समय आपने 10 से 15 विद्यार्थियों को आचार्य श्रीराम शर्मा जी के ऊपर भिन्न भिन्न विषयों पर शोध कार्य करवाया।

इसके साथ ही आप ने स्वयं के लिखे नृत्य – नाटिकाओं का विद्यार्थियों एवं शांति कुंज की बहनों के द्वारा मंचन भी करवाया। इस प्रकार आप एक सफल कोरियोग्राफर भी रहीं , अपनी सफलता को उषा खण्डेलवाल गुरु कृपा ही मानती हैं। आप एक कवियित्री भी है , आपकी कविताओं का आपने कई मंचों पर प्रस्तुतीकरण किया। आपकी एक कविता कोरोना काल में बहुत प्रसिद्ध हुई , जिसके बोल हैं , ” जीवन का मूल्य पहचान सखे “।

वर्तमान में आप एकलव्य विश्व विद्यालय, दमोह , म.प्र. में प्राकृतिक चिकित्सा एवं योगविज्ञान संकाय की डीन तथा दर्शनशास्त्र विषय की विभागाध्यक्ष हैं। आपके निर्देशन में 6 विद्यार्थी दर्शनशास्त्र में पी- एच. डी. कर रहे हैं तथा 15 विद्यार्थी योग में पी- एच डी. कर रहे हैं, उन्हें आप मार्गदर्शन कर रही हैं । आपके 34 रिसर्च पेपर नेशनल एवं इंटरनेशनल जर्नल में प्रकाशित हो चुके हैं। आप एक इंटरनेशनल जर्नल” वर्ल्ड व्यू रिसर्च बुलेटिन ” की एडिटोरियल बोर्ड की मेंबर भी हैं।

आपका शोध प्रबंध के प्रकाशन हेतु रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय द्वारा विशेष आग्रह करने पर आपके पति डॉ. अशोक खंडेलवाल जी ने उसे नवम्बर 2000 में प्रकाशित करवाया , जिसका विमोचन 90 लाख जनता के बीच शांतिकुंज हरिद्वार में 1008 कुंडीय विशाल गायत्री महायज्ञ समारोह में हुआ। जिसका विमोचन श्रद्धेय डॉक्टर प्रणव पंड्या जी एवं वंदनीया शैल बाला जी के द्वारा किया गया।

इस पुस्तक का नाम है “आध्यात्मिक मान्यताओं का वैज्ञानिक प्रतिपादन ” – पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य के समन्वयात्मक दृष्टिकोण के संदर्भ में, आपकी यह पुस्तक देव संस्कृति विश्वविद्यालय शांतिकुंज हरिद्वार में 24 वर्षों से प्रत्येक पाठ्यक्रम में चल रही है।

डॉ उषा खंडेलवाल का यह कहना है कि उनका यह शोध प्रबंध परम पूज्य गुरुदेव व परम वंदनीया माताजी की सूक्ष्म प्रेरणा से ही लिखा गया है। इस ग्रंथ को लिखते समय उषा खंडेलवाल कहती हैं कि मुझे नहीं मालूम था कि शोध प्रबंध कैसे लिखा जाएगा ,लेकिन मुझे रोज नई-नई प्रेरणाय मिलतीं और मैं अपने अध्यायों को पूर्ण करती जाती।

इस शोध प्रबंध को देखकर परम वंदनीया माताजी ने बड़ी ही प्रसन्नता व्यक्त की एवं उषा खंडेलवाल जी को बहुत आशीर्वाद दिया एवं कहा कि यह शोध प्रबंध अनेकों की प्रेरणा स्तंभ बनेगा , वंदनीया माताजी का आशीर्वाद पत्र बहन उषा खंडेलवाल के ग्रंथ में सर्वप्रथम प्रस्तुत किया गया है।