आज राजकीय कला कन्या महाविद्यालय कोटा में दिशा परामर्श केंद्र के तत्वाधान में “मन की बात दिशा के साथ” विषय पर एक खुला मंच सत्र आयोजित किया गया।
दिशा केंद्र की प्रभारी निधि मीणा ने कार्यक्रम के आरम्भ में सभी का स्वागत किया और कार्यक्रम का उद्देश्य व दिशा केंद्र का संक्षिप्त परिचय दिया।
कोप संस्था द्वारा प्रशिक्षण प्राप्त महाविद्यालय की छात्राओं अथवा मेंटर्स मोहिनी, शबा, प्राची, प्राप्ति, सानिया, ख़ुशी, याशिका, परिक्षिता, रौशनी ने एक लघु नाटिका के द्वारा यह सन्देश दिया कि आज के समय में अधिकांश परिवारों में माता-पिता दोनों के ही कार्यशील होने के कारण बच्चों को समय नहीं दे पाते हैं।
जिसके कारण बच्चे न तो उनसे अपनी समस्याओं को साझा कर पाते हैं और माता-पिता सीमित संवाद के कारण अपने बच्चों को समझ नहीं पाते हैं।
परिवार पहले की अपेक्षा छोटे आकार के होने के कारण संवादहीनता की स्थिति व्यापक हुई है जिससे बच्चे तनाव, कुंठा और अवसाद का शिकार हो जाते हैं. कई बार तो स्थिति इतनी विकट हो जाती है कि बच्चे आत्महत्या जैसे कदम भी उठा लेते हैं।
केंद्र की सदस्य डॉ. ज्योति सिडाना ने खुला मंच का संचालन करते हुए महाविद्यालय में स्नातक प्रथम वर्ष में प्रवेशित नवीन छात्राओं से उनकी समस्याओं को जानने का प्रयास किया जिसमे एक बड़ी संख्या में छात्राओं ने अपने मन की बात वहां उपस्थित प्राचार्य और शिक्षको के साथ साझा की।
डॉ. सिडाना ने बताया कि तनाव, अवसाद और निराशा जैसे शब्दों को अपने जीवन में स्थान नहीं देना चाहिए क्योंकि हम जैसा सोचते और बोलते हैं वैसा ही हमारे पास पलटकर आता है इसलिए बड़े बुजुर्ग कहते हैं कि हमेशा सकारात्मक बोलो, अच्छा बोलो तो स्वाभाविक है कि हमारे पास भी सकारात्मक ऊर्जा पलटकर आएगी।
प्राचार्य प्रो. सीमा चौहान ने उनकी समस्याओं का समाधान करने के साथ साथ बताया कि महाविद्यालय में कौन कौन सी गतिविधियाँ होती हैं, छात्राओं के कल्याण के लिए कौन कौन से समितियां हैं और वे क्या काम करती हैं, महाविद्यालय में किसी भी प्रकार की समस्या का सामना करने पर पर वे सीधे प्राचार्य और शिक्षकों से संपर्क कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि मन की बात दिशा के साथ सत्र का आयोजन करने के पीछे उद्देश्य भी यही है कि आप खुलकर संवाद करे ताकि आपमें आत्मविश्वास विकसित हो और कॉलेज के नए परिवेश के साथ आप सामंजस्य बैठा सके।