आज दिनांक 02 सितम्बर 2024 को राजकीय महाविद्यालय चिन्यालीसौड़ में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण उत्तरकाशी तथा महाविद्यालय के एंटी ड्रग्स प्रकोश्ठ तथा महिला उत्त्पीड़न निवारण प्रकोष्ठ के संयुक्त तत्वाधान में एक जागरूकता कार्यक्रम तथा कार्यषाला का आयोजन किया गया।

कार्यशाला का मुख्य उद्देश रहा कि छात्र-छात्राओं तथा प्रतिभागियों को नषा मुक्ति, मौलिक अधिकार तथा उद्देष्य रहा कि छात्र-छात्राओं तथा प्रतिभागियों को नशामुक्ति, मौलिक अधिकार तथा कर्तव्य, मानव तस्करी प्रिवेंशन आफ सेक्सुअल हरासमेन्ट एट वर्कप्लेस अधिनियम 2013 तथा विशाखा गाईडलाइन्स के संबन्ध में जानकारी दी जाए।

सर्वप्रथम आगंतुक अतिथियों का महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो0 प्रभात द्विवेदी ने बैज अलंकरण तथा पुष्प गुच्छ भेंट कर अभिनन्दन किया।

सर्वप्रथम प्रतिधारक अधिवक्ता, श्रीमती पमिता थपलियाल ने घरेलू हिंसा के विभिन्न पहलुओं जैसे आर्थिक हिंसा मानसिक हिंसा, शारीरिक या यौन हिंसा आदि पर विस्तारपूर्वक चर्चा की।

उन्होने बताया कि षून्य एफ0आई0आर0 के जरिए महिलाएं किसी भी स्थान के थाने में जाकर अपनी षिकायत दर्ज करवा सकती है। साथ ही उन्होने बाल विवाह के सम्बन्ध में भी चर्चा की/भंवरी देवी हत्याकाण्ड (राजस्थान) के विधिक परिणामस्वरूप जो अधिनियम बना उसके बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी।

कार्यषाला की मुख्य अतिथि तथा मुख्य वक्ता सिविल जज सीनियर डिवीजन एवं सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण उत्तरकाषी से पधारी श्वेता राणा चैहान ने भारत के नागरिकों को प्राप्त विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक तथा आर्थिक अधिकारों एवं मौलिक अधिकारों पर जानकारी दी।

साथ-साथ उन्होने बताया कि अधिकारों के साथ मौलिक कर्तव्यों के पालन के लिए भी हमें तत्पर रहना चाहिए। राज्य के नीति-निर्देषक तत्व के अनुसार आर्टिकल 39 । के अंतर्गत निःषुल्क विधिक सहायता के प्रावधान के बारे में उन्होने बताया कि राश्ट्र राज्य, जिला तथा तहसील स्तर पर विधिक सेवा प्राधिकरणों के माध्यम से वंचित, षोशित, पिछड़े, दलित, कमजोर वर्गो को यह मुफ्त सहायता उपलब्ध करवाई जाती है जिसका लाभ सामाजिक रूप से अषक्त लोगों को मिल सकता है परन्तु जानकारी के अभाव में वह इस प्रकार की सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं।

राष्ट्रीय व स्थानीय लोक अदालतों, प्रमाणपत्र बनवाने संबंधी कार्य, परामर्ष-समझौतों हेतु विषेश विभागों की भूमिका आदि व्यावहारिक विशयों से अवगत करवाया। साथ ही छात्र-छात्राओं की ओर से पूछे जाने वाले प्रष्नों के उत्तर देकर भी उन्होंने प्रति भागियों की जिज्ञासा को षांत किया।

कार्यशाला के समापन पर महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर प्रभात द्विवेदी ने विधिक जागरूकता हेतु आए हुए अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित किया और कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम लोगों को विषेशकर महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना तथा समाज में सम्मान के साथ खडे़ होना सिखाते हैं। ऐसे प्रयासों की सहायता से ही हम अपने देष भारत को वास्तविक अर्थों में ’’आत्म निर्भर भारत’’ बना सकते हैं।

उन्होंने कहा कि समाज और जनोपयोगी विशयों पर चर्चा आज के समय में अति महत्वपूर्ण हो गयी है क्योंकि महिला अपराध, साइबर अपराध, धोखेबाजी, डगी इत्यादि नैतिक मूल्यों में गिरावट के कारण निरंतर बढ़ते जा रह हैं।

अतः इस प्रकार के कार्यक्रमों से भविश्य के उत्तरदायी नागरिक बनने जा रहे हमारे विद्यार्थियों के ज्ञान का विस्तार तो होता ही है साथ ही वे स्वयं दूसरों के अधिकारों की रक्षा के लिए सषक्त भी बनते हैं।

कार्यक्रम संयोजक डाॅ0 अशक कुमार अग्रवाल तथा निषी दुबे ने सभी मेहमानों, प्राध्यापकों, शिक्षणेत्तर कर्मचारियों तथा छात्र-छात्रओं का आभार व्यक्त किया। मंच का सफल् संचालन राजनीति विज्ञान के प्राध्यापक श्री विनीत कुमार ने किया।

महाविद्यालय के डाॅ0 प्रमोद कुमार, डाॅ0 खुशपाल, डाॅ0 रजनी रस्याल, ब्रिजेश चैहान, कृश्णा डबराल, डाॅ0 अराधना सिंह, डाॅ भूपेश चन्द्र पंत, डाॅ0 सुगन्धा वर्मा, वैभव कुमार , डाॅ प्रभात कुमार सिंह, अराधना रढौर, डाॅ0 अषोक अग्रवाल, आलोक बिजल्वाण, डाॅ0 कपिल सेमवाल, रामचन्द्र नौटियाल, सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।