राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय हल्द्वानी, नैनीताल में दिनांक 5 अप्रैल 2025 को एम.बी. पी.जी.कॉलेज हल्द्वानी में इतिहास विभाग द्वारा आयोजित वैदिक साहित्य व्याख्यानमांला के द्वितीय सत्र के विषय विशेषज्ञ डॉक्टर उमेश चंद्र जोशी असिस्टेंट प्रोफेसर संस्कृत महाराणा प्रताप राजकीय महाविद्यालय नानकमत्ता उधम सिंह नगर रहे,।

जिनका विषय वैदिक कालीन भूगोल और पर्यावरण की उपयोगिता पर- वर्तमान समय में चल रही एन . ई.पी शिक्षा के आधार को 14 वेद विद्याओ का स्वरूप बताने के साथ ही शिक्षा वेद के साथ साथ मनु, स्मृतियों, कौटिल्य के सिद्धांत व मीमांसा, न्याय दर्शन के सिद्धांत के विकास क्रम में हुआ आदि पर विचार प्रकट कियेे।

उन्होंने बताया वेद का अर्थ- ज्ञान प्राप्त करना है, वेद एक है व विषय तथा समाज की उपयोगिता को प्रतिपादन करने के लिए इसे चार भागों में विभाजित किया गया।

वही भूगोल का संबंध वेदों से है क्योंकि वेदों में ही राष्ट्र व विश्व की कल्पना का आधार वेद को ही बताया। भारतीय ज्ञान परंपरा के अंतर्गत वेदों का संबंध पृथ्वी के सप्तद्वीप व उसके खंडों से है।

साथ ही अथर्ववेद में हिमालय से निकलने वाली जलधारा की अवधारणा के साथ मंजुवत या मौन पर्वत को सोम पर्वत में एवं ऋग्वेद व अथर्ववेद में दो और तीन समुद्र का उल्लेख बताया, वैदिक साहित्य में 90-99 नदियों का संबंध व नव्या नाव चलाई जा सकने वाली नदियों का उल्लेख किया वहीं वैदिक साहित्य में पर्यावरण सिद्धांत के अंतर्गत पीपल वृक्ष के नीचे बैठना व घर बनाने के संकल्प तथा उपनिषद द्वारा पर्यावरण के लिए अन्न व औषधियो के स्वरूप की महत्ता पर व्याख्यान दिया।

इस अवसर पर 88 छात्र-छात्राएं ऑनलाइन तथा 160 छात्र-छात्राओं ने ऑफलाइन माध्यम से जुड़े रहे। सर के इस व्याख्यान में डॉक्टर दिनेश कुमार, डॉक्टर देवेश गर्ब्याल,डॉ सुरेश टम्टा, डॉ राकेश कुमार आदि उपस्थित रहे। अंत में विषय विशेषज्ञ वह का धन्यवाद ज्ञापन महिपाल सिंह कुटियाल के द्वारा किया गया। मंच संचालन डॉ ज्योति टम्टा द्वारा किया गया।

About The Author