महाविद्यालय नैनबाग में चल रहे उद्यमिता विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत दसवें दिन प्रतिभागियों को मधुमक्खी पालन (Beekeeping) पर विशेष प्रशिक्षण प्रदान किया गया। इस अवसर पर डॉ. विनय चमोली ने विषय-विशेषज्ञ के रूप में प्रतिभागियों को प्रशिक्षण दिया।

कार्यक्रम की शुरुआत में डॉ. चमोली ने मधुमक्खी पालन के वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्व को समझाया और बताया कि यह न केवल शुद्ध शहद उत्पादन का स्रोत है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार का एक अत्यंत लाभकारी माध्यम भी बन सकता है। उन्होंने मधुमक्खियों की नस्लें, छत्तों की संरचना, रखरखाव, मौसमी देखभाल, और शहद निष्कर्षण की तकनीकों पर विस्तृत जानकारी दी।

प्रशिक्षण सत्र को प्रायोगिक रूप (Hands-on training) में भी परिवर्तित किया गया, जिसमें छात्रों को मधुमक्खी पालन से संबंधित उपकरणों, सुरक्षा उपायों तथा छत्ते की संरचना को प्रत्यक्ष रूप से देखने और समझने का अवसर मिला.

इस अवसर पर श्री चंदन कुमार, समन्वयक, भी उपस्थित रहे। उन्होंने प्रशिक्षण की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम छात्रों को पारंपरिक शिक्षा के साथ-साथ व्यावहारिक जीवन कौशल भी प्रदान करते हैं, जिससे वे भविष्य में रोजगार प्रदाता बन सकें।

प्रतिभागियों ने इस प्रशिक्षण को अत्यंत लाभकारी बताया और कहा कि इससे उन्हें एक नई दिशा में सोचने और अपने क्षेत्र में कुछ नया करने की प्रेरणा मिली है।

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