Thursday, October 16, 2025

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उत्तराखंड उच्च शिक्षा में गहराता संकट: प्रिंसिपल विहीन कॉलेज, रुके हुए स्थानांतरण और प्रभावित अस्थाई शिक्षकों की अनदेखी

उत्तराखंड राज्य की उच्च शिक्षा व्यवस्था आज गंभीर संकट के दौर से गुजर रही है। राज्य के 25 से अधिक राजकीय महाविद्यालयों में प्रिंसिपल पद रिक्त हैं, जिससे शैक्षणिक और प्रशासनिक कार्यों में भारी बाधा उत्पन्न हो रही है।

वर्षों से लंबित प्रोमोशन प्रक्रिया के कारण योग्य प्राध्यापक प्रिंसिपल पद की प्रतीक्षा में हैं, लेकिन शासन स्तर पर कार्यवाही लटकी पड़ी है साथ ही स्वैच्छिक एवं अनिवार्य सेवानिवृति के मामले में भी सरकार कोई निर्णय नहीं ले पा रही है ।

इसके अतिरिक्त, स्थानांतरण की प्रक्रिया भी पूरी तरह ठप पड़ी है। कई शिक्षक वर्षों से एक ही स्थान पर कार्यरत हैं, जिससे न केवल उनकी व्यक्तिगत और पारिवारिक समस्याएं बढ़ रही हैं, बल्कि संस्थानों में संतुलन भी बिगड़ रहा है।

पिथौरागड़, चंपावत और बागेश्वर को कैंपस घोषित किये जाने से वहां के प्राध्यापकों का समायोजन उच्च शिक्षा महाविद्यालय में किया गया परन्तु उनके पदों को उच्च शिक्षा में समलित नहीं किया गया, जिससे उच्च शिक्षा में ऊहापोह की स्थिति उत्पन्न हो गई है कुछ शिक्षक कैंपस में है कुछ उच्च शिक्षा में और कुछ शिक्षक ऐसे है जो हैं तो उच्च शिक्षा में किन्तु उनका वेतन कैंपस से अवमुक्त किया जा रहा है । ऐसे में इन कैम्पस में पठन-पाठन के साथ साथ शोध कार्यों में भी छात्र-छात्राओं को भयंकर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है ।

उत्तराखंड उच्च शिक्षा देश में NEP लागू करने वाला पहला राज्य है परंतु NEP के नियमों के अनुसार न तो शिक्षक है ना हीं महाविद्यालयों में विषयों का संयोजन,

सबसे चिंताजनक स्थिति उन 100 से अधिक अस्थाई शिक्षकों की है, जो पिछले एक वर्ष से समायोजन की प्रतीक्षा में हैं। इन शिक्षकों ने राज्य के दूरस्थ और संसाधनविहीन क्षेत्रों में शिक्षा की अलख जगाई है, लेकिन अब वे आर्थिक संकट और मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं।

– तत्काल प्रिंसिपल पदों पर प्रोमोशन प्रक्रिया शुरू की जाए ।

– स्थानांतरण नीति को पारदर्शी और समयबद्ध तरीके से लागू किया जाए ।

– कैंपस घोषित हो चुके महाविद्यालयों के पदों को उच्च शिक्षा में शामिल किया जाय ।

– प्रभावित अस्थाई शिक्षकों का समायोजन शीघ्र किया जाए ताकि वे सम्मानजनक जीवन जी सकें ।

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