Wednesday, October 15, 2025

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महाविद्यालय पाबौ- अपशिष्ट से संपत्ति रीसाइक्लिंग और अपसाइक्लिंग के बिजनेस मॉडल” विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन

राजकीय महाविद्यालय पाबौ, पौड़ी गढ़वाल में दिनांक 26 सितंबर 2025 दिन शुक्रवार को “Waste-to-Wealth: Business Models for Recycling and Upcycling” कार्यक्रम का शुभारंभ प्राचार्य, मुख्य वक्ताओं एवं प्राध्यापकों द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ प्रातः 11 बजे हुआ । इसके बाद डॉ. गणेश चंद कार्यक्रम का संचालन करते हुए सभी वक्ताओं का परिचय दिया एवं वेबिनार विषय के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी ।

इसके बाद डॉ. राजपाल सिंह रावत ने कहा की रीसाइक्लिंग और अपसाइक्लिंग के सफल बिज़नेस मॉडल आज की अर्थव्यवस्था में कचरे को मूल्यवान संसाधन में बदलने का महत्वपूर्ण मार्ग हैं। घरेलू एवं औद्योगिक कचरे को पुनः प्रयोग योग्य उत्पादों में बदलकर न केवल पर्यावरण की रक्षा की जा सकती है, बल्कि स्थानीय स्तर पर रोज़गार सृजन और आर्थिक विकास भी संभव है।

प्लास्टिक, धातु, ई-वेस्ट तथा ऑर्गेनिक कचरे से उपयोगी उत्पाद बनाना, स्टार्टअप्स के लिए बड़े अवसर प्रदान करता है। सरकारी नीतियाँ और हरित पहल इस क्षेत्र को और मजबूत बना रही हैं। सतत विकास हेतु कचरे से कमाई का यह मॉडल समाज व उद्योग दोनों के लिए लाभकारी है।

राष्ट्रीय वेबिनार के द्वितीय वक्ता डॉ. दिवाकर बुद्धा ने आपे सम्बोधन मे कहा कि इस भौतिक जगत में कुछ भी वेस्ट नहीं है बस जरूरत है तो सिर्फ एक आइडीआ की , हम इस कचरे को संसाधन मे केसे बदले ।

डॉ बौद्ध जी कारपैंटर का बुरादा केसे उपयोगी बन सकता है इसके बारे बताया । अपसाइक्लिंग वह प्रक्रिया है जिसमें बेकार या त्यागे गए उत्पादों को रचनात्मक ढंग से नए मूल्यवान उत्पादों में परिवर्तित किया जाता है।

यह न केवल कचरे की मात्रा घटाता है बल्कि नवाचार और रोजगार की नई संभावनाएँ भी खोलता है। पुराने फर्नीचर, कपड़े, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, और प्लास्टिक से सजावटी या उपयोगी वस्तुएँ बनाना अपसाइक्लिंग का उत्कृष्ट उदाहरण है। इसके लिए कम पूंजी की आवश्यकता होती है और स्थानीय कारीगरों व उद्यमियों को नया बाज़ार मिलता है।

पर्यावरण संरक्षण, ऊर्जा बचत और सतत अर्थव्यवस्था के निर्माण में अपसाइक्लिंग की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
श्री मानस प्रतीम गोस्वामी ने बताया की कचरे से धन अर्जन के आधुनिक व्यावसायिक मॉडल युवाओं के लिए एक उभरता हुआ स्टार्टअप क्षेत्र है। ई-वेस्ट, खाद्य अपशिष्ट, कृषि अवशेष और प्लास्टिक कचरे को पुनः उपयोग में लाकर हरित उद्यमिता विकसित की जा सकती है।

इससे न केवल कार्बन फुटप्रिंट कम होता है, भारत सरकार की स्वच्छ भारत मिशन और परिपत्र अर्थव्यवस्था (Circular Economy) की नीतियाँ ऐसे उद्यमों को प्रोत्साहित करती हैं। सामुदायिक स्तर पर प्रशिक्षण, प्रौद्योगिकी नवाचार और सस्टेनेबल बिज़नेस प्लान अपनाकर अपशिष्ट को संपदा में बदला जा सकता है।
वेबिनार के अंत में प्राचार्य ने विद्यार्थियों और शिक्षकों को रीसाइक्लिंग व अपसाइक्लिंग के व्यावसायिक अवसरों के महत्व पर प्रेरित किया अंत मे बताया कि कोई भी उद्यम केवल कल्पना से नहीं बल्कि मेहनत एवं लगन से सफलता को प्राप्त करता है ।

अंत में डॉ० सौरभ सिंह (सहायक प्राध्यापक, शिक्षा विभाग) द्वारा सभी वक्ताओं ,प्राध्यापकों एवं प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापित किया।

वेबिनार की सफलता में महाविद्यालय के प्राध्यापकों डॉ. रजनी बाला, डॉ. तनुजा रावत, डॉ. मुकेश शाह, डॉ. सुनीता चौहान, श्री दीपक कुमार, डॉ. धर्मेन्द्र सिंह, डॉ. धनेन्द्र पंवार, डॉ. सरिता तथा कार्यालय से कनिष्ठ सहायक श्री महेश सिंह, विजेंद्र बिष्ट, श्रीमती सोनी देवी आदि का विशेष सहयोग रहा।

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