एम.बी. राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय हल्द्वानी में जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर एक व्याख्यान लाल बहादुर शास्त्री सभागार में इतिहास विभाग के द्वारा आयोजित किया गया।
इस कार्यक्रम का आरंभ प्राचार्य प्रोफे० एन.एस. बनकोटी द्वारा दीप प्रज्वलित किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता जौनसारी जनजातीय समुदाय से डॉ ललित सिंह राणा, जोहार संस्कृति से श्री हरीश धर्मशक्तू, श्रीमती पुष्पा धर्मशक्तू, रंग संस्कृति से डॉ महिपाल कुटियाल द्वारा अपने व्याख्यान दिए।
प्रो० सी.एस. नेगी ने जनजातीय समुदाय के योगदान को रेखांकित किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ० ज्योति टम्टा द्वारा किया गया। इस अवसर पर डॉ टम्टा ने बताया कि जनजातियों का इतिहास केवल संस्कृति का ही इतिहास नहीं अपितु संघर्ष एवं स्वाभिमान का इतिहास है और भारत की आत्मा का इतिहास है। इस संगोष्ठी के माध्यम से हम सब इन जनजाति नायकों को नमन करते हैं और उनकी विरासत को आगे बढ़ने का संकल्प भी लेते हैं।
संगोष्ठी में वक्ता डॉ० महिपाल कुटियाल के द्वारा जनजाति गौरव दिवस क्यों मनाया जाता है कैसे बिरसा मुंडा ने औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध संघर्ष किया और एक महानायक के रूप में स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई किस तरह बिरसा मुंडा धरती आबा बने बताया डॉ कुटियाल द्वारा उत्तराखंड में आवासरत जनपद पिथौरागढ़ के रंग जनजाति की संस्कृति, भौगोलिक, वेशभूषा, कुन्चा, मित्र, मिज्यौ व्यवस्था की परंपराओं पर विस्तृत प्रकाश डाला।
कार्यक्रम में वक्ता श्री हरीश धर्मशक्तू सामाजिक कार्यकर्ता एवं लेखक ने जनजातियों का राष्ट्रीय आंदोलन में योगदान पर अपना व्याख्यान दिया। इन्होंने बताया कि किस प्रकार जोहार घाटी के जनजाति समुदाय के 16 स्वतंत्रता सेनानियों का विस्तार पूर्वक वर्णन किया और यह बताया कि जोहार घाटी ने किस प्रकार राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लेकर औपनिवेशिक सत्ता के विरुद्ध आवाज उठाई।
कार्यक्रम के अन्य मुख्य वक्ता भूतपूर्व प्रधानाचार्य श्रीमती पुष्पा धर्मशक्तू जी ने जोहर संस्कृति के विविध पक्षों पर प्रकाश डालते हुए इनके खान-पान, वेशभूषा, परंपराओं कुमाऊनी संस्कृति के साथ साम्यता रखते हुए जनजाति संस्कृति को जीवंत रखने पर व्याख्यान दिया।
जनजाति गौरव दिवस टाउन हॉल कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य प्रोफेसर एन एस बनकोटी जी ने कार्यक्रम की प्रशंसा करते हुए कहा कि राष्ट्र के निर्माण में आदिवासी जनजातियों का योगदान अति महत्वपूर्ण रहा है जनजातियों ने न केवल संस्कृति को बल्कि प्रकृति को भी संरक्षित करने का काम किया है। इतिहास विभाग द्वारा इस कार्यक्रम को सफल बनाने में एकजुटता और जनजातीय गौरव दिवस को जन-जन तक पहुंचाने का भी महत्वपूर्ण कार्य किया है।
इतिहास विभाग के विभाग अध्यक्ष डॉ सुरेश टम्टा जी के द्वारा जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर जनजाति समुदाय के आए हुए अतिथियों को बैच लगाकर सम्मानित किया गया। डॉक्टर सुरेश टम्टा के द्वारा जनजातीय गौरव दिवस पर विषय विशेषज्ञ के विषय में विस्तार से जानकारी दी, साथ ही यह बताया कि भारतीय राष्ट्रीय इतिहास के निर्माण में भारत के विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले जनजातीय ने अपने संस्कृति सभ्यता और अधिकार के लिए एकजुट होकर अंग्रेजों से लोहा लिया।
इस कार्यक्रम में डॉ दिनेश कुमार, डॉ देवेश, डॉ हीरा सिंह भाकुनी, डॉ उर्वशी पाण्डे, डॉ ममता अधिकारी , डॉ कविता बिष्ट, डॉ रितु मित्तल, डॉ किरण कर्नाटक, अन्य महाविद्यालय से आए अतिथि, महाविद्यालय के छात्र – छात्राएं, शोध छात्र, तथा कर्मचारीगण उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का समापन डॉ सुरेश टम्टा के द्वारा सबको धन्यवाद ज्ञापित करके राष्ट्रगान के साथ किया गया।


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