कोटा, 23 नवम्बर। राजस्थान राज्य पाठ्यपुस्तक मंडल के शिक्षा प्रोत्साहन प्रन्यासी एवं भारत–तिब्बत सहयोग मंच के प्रांतीय महामंत्री अरविन्द सिसोदिया ने बांग्लादेश में चल रहे अत्याचारी घटनाक्रम पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिन्दुओं के विरुद्ध हिंसक, अन्यायपूर्ण, घोर अनैतिक और अराजक घटनाक्रम संपूर्ण विश्व की मानव सभ्यता के लिए एक अघोषित चेतावनी है तथा भारत के लिए विशेष रूप से सतर्क रहने का स्पष्ट संकेत देता है।
उन्होंने कहा कि “भारत के पूर्वांचल की ओर पड़ रही कुदृष्टि यह दर्शाती है कि भारत को अपनी सीमाओं पर सैन्य, रणनीतिक और कूटनीतिक सतर्कता और अधिक सुदृढ़ करनी होगी।
सिसोदिया ने कहा कि ” सम्पन्न विदेशी शक्तियों द्वारा षड्यंत्रपूर्वक अराजकता फैलाकर लोकतंत्र को विफल करने के प्रयास न केवल निंदनीय हैं, बल्कि वे संपूर्ण विश्व की लोकतांत्रिक संस्थाओं को भी चेतावनी हैं। ऐसी आपराधिक प्रवृत्ति वाली संस्थाओं और व्यक्तियों पर तत्काल प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए तथा उन्हें उनकेलोकतंत्र विरोधी इरादों से समय रहते रोका जाना चाहिए है।
सिसोदिया नें तीखे शब्दों में कहा कि बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के विरुद्ध हो रही संगठित और बर्बर हिंसा यह प्रमाण है कि वहाँ मानवता समाप्त हो चुकी है, जबकि विश्व की तथाकथित जिम्मेदार और मानवाधिकारों की बात करने वाली ताकतें आपराधिक मौन साधे हुए हैं।
उन्होंने कहा कि मंदिरों पर हमले, हिंदू घरों और व्यवसायों को जलाना, महिलाओं के साथ अमानवीय व्यवहार, निर्दोष लोगों की हत्याएँ और भय के वातावरण की घटनाएँ किसी भी सभ्य समाज के लिए शर्मनाक हैं। यह केवल हिंदू समाज पर नहीं, बल्कि लोकतंत्र, धार्मिक स्वतंत्रता और मानव मूल्यों पर सीधा हमला है।
अरविन्द सिसोदिया ने कहा कि ” अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों, वैश्विक शक्तियों और संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्थाओं की चुप्पी इस अन्याय में परोक्ष सहभागिता के समान है। यदि समय रहते इस सुनियोजित हिंदू-विरोधी हिंसा को रोकने के लिए ठोस और कठोर कदम नहीं उठाए गए, तो यह अराजकता सीमाओं को लांघकर पूरे दक्षिण एशियाई क्षेत्र की शांति, स्थिरता और सामाजिक संतुलन को गंभीर रूप से प्रभावित करेगी।
उन्होंने कहा कि ” भारत को अपने राष्ट्रीय हितों, सीमाई सुरक्षा और सामाजिक सौहार्द की रक्षा के लिए केवल कूटनीतिक स्तर पर नहीं, बल्कि वैचारिक, रणनीतिक और आंतरिक सुरक्षा के स्तर पर भी पूरी सजगता के साथ आगे बढ़ना होगा। पड़ोसी देशों में अस्थिरता का सीधा प्रभाव आंतरिक सुरक्षा, आर्थिक प्रगति और सामाजिक ताने-बाने पर पड़ता है।”
सिसोदिया ने जोर देकर कहा कि ” भारत को अपनी लोकतांत्रिक संस्थाओं को और अधिक सशक्त बनाते हुए राष्ट्रविरोधी और आराजकतावादी शक्तियों की पहचान कर उनके विरुद्ध कठोर कार्रवाई करनी चाहिए तथा वैश्विक मंच पर लोकतंत्र, मानवाधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता के पक्ष में दृढ़तापूर्वक अपनी आवाज बुलंद करनी चाहिए।


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