कोटद्वार: हिमालय के रक्षक और देश के जाने-माने पर्यावरणविद सोनम वांगचुक की हिरासत को आज 90 दिन पूरे हो चुके हैं। इस मुद्दे पर पूरे देश में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
इसी कड़ी में, कोटद्वार के तीलू रौतेली चौक पर समाजसेवी और एक्टिविस्ट मुकेश सेमवाल के नेतृत्व में एक व्यापक जन-जागरूकता अभियान चलाया गया एवं तहसील में पहुंच कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के के नाम ज्ञापन प्रेषित किया ।
इस अभियान के माध्यम से न केवल वांगचुक की रिहाई की मांग की गई, बल्कि उत्तराखंड में तेजी से हो रहे पर्यावरणीय ह्रास पर भी गहरी चिंता व्यक्त की गई। सम्मानित व्यक्तित्व का अनादर क्यों? सोनम वांगचुक के तत्काल रिहाई के लिए जन चेतना, जन जागरूकता एवं जन प्रतिभाग के नारे और उद्घोष किया गया।
अभियान का नेतृत्व कर रहे मुकेश सेमवाल ने कहा कि सोनम वांगचुक ने अपना पूरा जीवन देश की सेना की मदद और पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्पित कर दिया है।
उन्होंने कहा,
> “रेमन मैग्सेसे जैसे 15 से अधिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित व्यक्ति को इस तरह गिरफ्तार करना न केवल अनुचित है, बल्कि लोकतंत्र की भावनाओं के भी विपरीत है।”
विकास या विनाश : उत्तराखंड के अस्तित्व पर संकट—
इस मौके पर समाजसेवी मुजीब नैथानी ने उत्तराखंड की वर्तमान स्थिति पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की पहचान इसकी प्राकृतिक सुंदरता से है, जिसे देखने हर साल करोड़ों पर्यटक आते हैं। लेकिन ‘विकास’ के नाम पर पौड़ी से लेकर गंगोत्री तक जिस तरह से पेड़ों का कटान हो रहा है, वह भविष्य में राज्य के अस्तित्व के लिए एक बड़ा खतरा साबित होगा।
बदलता मौसम— खतरे की घंटी
वरिष्ठ पत्रकार सुधांशु थपलियाल ने जलवायु परिवर्तन के वैज्ञानिक पहलुओं पर जोर देते हुए कहा–
चौड़ीकरण का प्रभाव — सड़कों के नाम पर हजारों पेड़ों की बलि दी जा रही है, जिससे हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) बिगड़ रहा है।
प्राकृतिक आपदाएं: पर्यावरण से छेड़छाड़ का सीधा नतीजा प्राकृतिक आपदाओं के रूप में सामने आएगा।
बर्फबारी का अभाव– दिसंबर समाप्त होने को है, लेकिन पहाड़ों में बर्फ का न गिरना इस बात का प्रमाण है कि मानवीय हस्तक्षेप ने पहाड़ों के मौसम चक्र को पूरी तरह प्रभावित कर दिया है।
कोटद्वार में हुई यह हलचल केवल एक सार्वजनिक abhiyan नहीं है, बल्कि यह हिमालय को बचाने की एक सामूहिक पुकार है। सोनम वांगचुक की रिहाई की मांग अब एक जन-आंदोलन का रूप ले रही है, जो सरकार को यह याद दिलाने के लिए काफी है कि पर्यावरण की कीमत पर किया गया विकास कभी स्थायी नहीं हो सकता।
इस सार्वजनिक अभियान में मौजूद अनिकेत ने बताया कि “सोनम वांगचुक पूरे हिमालय क्षेत्र के प्रतिनिधि, संरक्षक और दूत हैं। 90 दिनों से भी ज्यादा उनको रासुका कानून के अंतर्गत जेल में नजर बंद कैद कर रखना वह भी बिना किसी चार्ज के लोकतांत्रिक संवैधानिक मूल्यों की हत्या है। हम जन चेतना को जागृत करके पूरे भारतीय समाज को उनकी तत्काल रिहाई के लिए अपना सकारात्मक योगदान प्रकट करने का आवाहन करते हैं।”
ग्रीन आर्मी की सक्रिय भागीदारी
इस जागरूकता अभियान में ग्रीन आर्मी के सदस्यों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। ‘अगर हम आज नहीं चेते, तो आने वाला समय उत्तराखंड की भावी पीढ़ी के लिए आत्मघाती होगा’—इस संकल्प के साथ संस्था के अध्यक्ष शिवम नेगी महासचिव उत्कर्ष नेगी, स्वयंसेवक ज्योति सजवान, सतेंद्र, विनय,अनुज और अनिकेत नौटियाल आदि युवाओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।


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