राजकीय कला कन्या महाविद्यालय कोटा के महिला प्रकोष्ठ के तत्वावधान में महिला जागरूकता एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम के तृतीय दिवस पर महिला आत्मसुरक्षा पर व्याख्यान का आयोजन किया गया।

जिसमे डाॅ. यशोदा मेहरा सह आचार्य, हिन्दी विभाग ने बताया कि आत्मसुरक्षा का गुण ईश्वर से प्राप्त है, हर प्राणी, जन्तु हर संभव अपनी आत्मसुरक्षा का भरसक प्रयास करता है। उन्होने कछुआ, गिरगिट का उदाहरण देते हुए कहा कि वे संकट को पहचान कर तुरन्त अपने आप को बचाने का प्रयास करते हैं।

उन्होने बताया कि वर्तमान में केवल शारीरिक आघात ही नही अपितु मानसिक आघात का सामना भी करना पड रहा है। उन्होने कहा कि वर्तमान में सिर्फ लडकियों को ही आत्मसुरक्षा की आवश्यकता नही होती अपितु परिवारजनो की रक्षा करना भी निहित है।

आई.पी.सी. की धारा 96 में आत्मसुरक्षा का अधिकार प्रदान किया गया है। आई.पी.सी. की धारा 100 के अनुसार आत्मसुरक्षा के अन्तर्गत आप समय परिस्थिति के अनुसार बचाव के लिए सामने वाले पर गैर इरादतन आक्रमण कर सकते है।

स्वयं पर होने वाले हमले को रोकने हेतु, चोरी अथवा डकैती, रेप आदि होने की स्थिति में विशेष परिस्थितिसयों में आत्म रक्षा नितान्त आवश्यक है। एसिड अटैक शारिरिक, अथवा मानसिक अघात में आत्म रक्षा के अधिकार का प्रयोग कर सकते हैं।

आत्मरक्षा प्र्रशिक्षण से व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक एवं भावनात्मक रूप से मजबूत किया जाता है। इस हेतु नारी शिक्षा ही प्रथम चरण है। कार्यक्रम में लगभग 170 छात्राऐं मौजुद थी।

महिला प्रकोष्ठ की प्रभारी डाॅ बिन्दु चतुर्वेदी ने बताया कि आज के आधुनिक युग में महिला आत्म रक्षा समय की मांग है एवं इसकी जानकारी हर छात्रा को होना नितान्त आवश्यक है डाॅ बबीता सिंघल ने कार्यक्रम का संचालन किया।

डाॅ पुनिता श्रीवास्तव के द्वारा छात्राओं के साथ इसी विषय पर खुला संवाद किया गया जिसमें छात्राओं ने अपने मन की बात रखी। डाॅ दीपा स्वामी द्वारा प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम का आयोजन किया गया।