राजकीय कला कन्या महाविद्यालय, कोटा एवं RSHEC (राजस्थान स्टेट हायर एजुकेशन काउंसिल) के संयुक्त तत्वावधान में National Education Policy-2020-From vision to action विषयक एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला हाइब्रिड (ऑनलाइन एवं ऑफलाइन) का आयोजित किया गया।

इस कार्यशाला की मुख्य संयोजक महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. सीमा चौहान रही। पाँच सत्रों में विभाजित इस कार्यशाला का विधिवत उद्घाटन माँ शारदे के समक्ष दीप प्रज्वलन और माल्यार्पण से हुआ।

इस कार्यशाला के अध्यक्ष प्रोफेसर (डॉ.) मनोज दीक्षित कुलपति (MGSU) महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय बीकानेर, संरक्षक- प्रो० डी.एस. चुण्डावत वाइस चेयरमैन RSHEC जयपुर, मुख्य अतिथि प्रोफेसर डॉ. नीलिमा सिंह कुलपति, कोटा विश्वविद्यालय कोटा, विशिष्ट अतिथि एवं संयुक्त निदेशक प्रो० जय भारत सिंह RSHEC, संयोजक डॉ अर्चना सहारे, आयोजन सचिव प्रो० टी. एन. दुबे रहे।

उद्घाटन सत्र के अंतर्गत प्राचार्य डॉ. सीमा चौहान ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि 34 वर्षों के पश्चात् हमारी राष्ट्रीय शिक्षा नीति में परिवर्तन किया गया है जिसके तहत हमारी शिक्षा नीति को विविध आयामी और परस्पर सरल बनाने का सराहनीय प्रयास किया गया।

विशिष्ट अतिथि जय भारत सिंह ने नई शिक्षा नीति का उद्देश्य छात्रों को अपनी संस्कृति के साथ जोड़कर ज्ञान और नवीन तकनीकी की ओर अग्रसर करना बताया।

प्रो. डी .एस. चुंडावत ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मूल आधार छात्रों में रटने की प्रवृत्ति के स्थान पर कौशल विकास, चरित्र निर्माण एवं नवीन ज्ञान का विकास है।

इस अवसर पर जयदीप सिंह, संयुक्त निदेशक आयुक्तालय कालेज शिक्षा राजस्थान जयपुर ने अपने वक्तव्य में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को भारतीय परंपराओं और संस्कृति को नवीन ज्ञान एवं तकनीक से जोड़ने का सराहनीय प्रयास बताया।

मुख्य अतिथि डॉ. नीलिमा सिंह उप कुलपति, कोटा विश्वविद्यालय कोटा ने कहा कि कोटा विश्वविद्यालय कोटा राष्ट्रीय शिक्षा नीति को पूर्णतः लागू करने वाला पहला विश्वविद्यालय है जिसका उद्देश्य छात्र के संपूर्ण व्यक्तित्व का विकास करना है।

प्रथम तकनीकी सत्र के अंतर्गत प्रोफेसर मोनिका खन्ना ने बताया कि NEP छात्रों को विकल्प का मंच प्रदान कर रहा है, छात्र अपनी इच्छानुसार विषय एवं पाठ्यक्रम का चयन करके पढ़ सकता है। छात्रों के पास मुख्य एवं गौण विषयों का विकल्प है जिसमें वह अपना कैरियर बन सकता है।

कार्यशाला के द्वितीय तकनीकी सत्र के मुख्य वक्ता डॉ. कमलेश चंद्र ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति छात्र की विशिष्टताओं को पहचानते हुए उनका संवेदनात्मक एवं सामाजिक विकास करते हुए उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए कृत संकल्प है।

तृतीय सत्र में डॉ. मनोज दीक्षित ने कहा कि नई शिक्षा नीति का उद्देश्य छात्रों के बहुआयामी विकास हेतु नई मूल्यांकन पद्धति के विकास पर जोर देना है।

चतुर्थ सत्र के अंतर्गत डॉ अभिषेक वशिष्ठ ने वैश्विक परिवर्तन के अनुसार भारतीय शिक्षा पद्धति में परिवर्तन लाने और देश में ही अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य को निर्मित करने हेतु विदेशी  सहयोग की अपेक्षा की चारो तकनीकी सत्र के पश्चात् एक समूह परिचर्चा आयोजित की गयी जिसमें विशेषज्ञों नें सभी प्रतिभागियों की शंकाओं का समाधान किया।

महाविद्यालय की वरिष्ठ संकाय सदस्य प्रेरणा शर्मा, डॉ. राजेन्द्र माहेश्वरी, डॉ प्रभा शर्मा, डॉ सपना कोतरा, डॉ. मनीषा शर्मा, डॉ. कविता मकवाना, डॉ. कविता मीणा, डॉ. यशोदा मेहरा, डॉ पारूल सिंह, डॉ. जितेश जोशी, डॉ. धर्म सिंह मीणा, श्री मो. रिजवान खान आदि समस्त संकाय सदस्य, एन.एस.एस. एन.सी.सी. की छात्राएँ, शोधार्थी तथा ऑनलाइन पंजीकृत 250 प्रतिभागियों ने इस कार्यशाला में सहभागिता की।