नव वर्ष आगमन के उपलक्ष्य पर अंतिमा कुमारी”अनन्त” शिक्षिका कोटा राजस्थान की एक भाव पूर्ण कविता…नव वर्ष की नई भौर…  के रूप में सभी देशवासियों को नव वर्ष की शुभकामनायें….

नव वर्ष की नयी भौर हैं, सृष्टि मनोरम चहुँऔर हैं ।

कंपकंपाती सर्दी की ठिठुरन,सब ओढ़े स्वेटर शाॅल हैं ।।

प्रातःकाल में छाया कोहरा,बहुत कुछ बतलाता हैं ।

भले ही तुमको राह ना दिखे ,फिर छभी चलते जाना हैं ।

धीरे-धीरे पहुंच मुकाम पर,मंजिल को पा जाना हैं ।

खेतों में सरसों की फसलें ,पीली चादर पर उड़ते भँवरे।

पल्लवित फूलों के मद पी ,इधर -उधर मंडराते हैं ।

हरी दूब पर ओंस की बूंदें,अपना भाग सरहाती हैं ।

जब सुबह की स्वर्णप्रभा से ,वह भी स्वर्णमयी हो जाती हैं ।

पाठ पढ़ाती नित हमें प्रकृति ,हम जीवन दें इक-दूजे को।

नव वर्ष में नये वादे ,जो हम अपने आपसे करें।

जो भी दीन,दुःखी मिलें,उनका पूरा ध्यान धरें ।।

घर-बाहर भी बच्चे-बूढ़ों के,नित सहायक बनें और ध्यान रखें।

ये ही हैं सच्चे ईश्वर ,जिनका हरदम ख्याल रखें।

हरि चरणों में शीश झुकाकर ,अपनी नयी शुरूआत करें।

नव वर्ष के सारे सपने,प्रभूजी सब के साकार करें।

हरि चरणों में कोटि नमन हैं, मेरा भी उद्धार करें।

मेरे जीवन के चमकते सितारे,प्रभू हरदम आबाद रहे ।

मेरी सब खुशियाँ उनको समर्पित ,जो हरदम मेरे साथ खड़े।।

मुझ अबोध के अवगुण हरकर ,जीवन को साकार करें।

प्रभू,माता,गुरू चरणों में, सदा मुझे स्थान मिलें,
हे मालिक आप सभी से मुझे आशीष और ज्ञान मिलें।

आदरणीय गुरूजनो, साथियों और सभी देशवासियों को नव वर्ष की मंगलकामनायें ।
अंतिमा कुमारी”अनन्त”

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