एनटीन्यूज़:  तालिबानियों का अफगानिस्तान पर कब्जा होने के बाद रविवार को देहरादून के करीब 62 लोग अपने घर वापस पहुंचे।  अफगानिस्तान से लौटे लोगों ने केंद्र सरकार के साथ राज्य सरकार का भी धन्यवाद दिया। साथ ही कहा कि सरकार के अथक प्रयासों से वो लोग आज अपने घरों में सकुशल पहुचे हैं। वहीं, इस दौरान अपनों को अपने साथ देखकर परिजन भी खुश थे।

अफगानिस्तान से लौटे रितेश कुमार का कहना है कि अपने घर पहुंचकर जो खुशी हुई है, उसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। रितेश ने बताया कि 89 लोग काबुल एयरपोर्ट से निकले, जिनमें करीब 62 लोग देहरादून के थे। उनका कहना है कि अफगानिस्तान के हालात बहुत ही ज्यादा खराब हैं, लेकिन तालिबानियों ने किसी भी भारतीय को नुकसान नहीं पहुंचाया।  तालिबान भारतीय की मदद कर रहा है। जो कुछ आज तक तालिबान के बारे में सुना था उसका उलट उन्होंने सामने देखा।  रितेश कहते हैं कि तालिबान ने उनको वहां से निकलने में बहुत मदद की है। साथ ही कहा कि वहां फंसे लोगों के परिजनों को धैर्य रखने की जरूरत है। सभी सुरक्षित वापस अपने घर आएंगे।

लक्ष्मीपुर के निवासी नितेश क्षेत्री ने बताया कि अफगानिस्तान में दहशत का महौल है। उन्होंने कहा कि मौत आसपास ही घूम रही है। उन्होंने बताया कि उनको बीते कुछ दिन कैसे हालातों से गुजरना पड़ा यह केवल वे ही जानते हैं। उन्होंने अफगानिस्तान में घास और पत्तल के ऊपर सोकर तीन रातें गुजारीं। उन्होंने बताया कि तालिबान के कब्जे के बाद से अब तक हम नहाए तक नहीं। जो जहां था बस जान बचाने के लिए खाली हाथ लौटा। डेनमार्क दूतावास के अधिकारियों ने हमारी मदद की है। उनको स्कॉट के माध्यम से एक होटल में लाया गया।

उनको पत्तलों और घास के ऊपर सोना पड़ा। अफगानिस्तान के नाटो और अमेरिकी सेना के साथ पिछले 12 वर्षों से काम कर रहे प्रेमनगर निवासी अजय छेत्री ने कहा कि हमने तालिबानियों को 60 हजार डॉलर नहीं दिए होते तो शायद आज हम उनकी गोलियों का शिकार हो गए होते। अजय के मुताबिक, उनके दोस्त विकास थापा और उनकी कंपनी के कई लोगों को तालिबानियों ने उनको रिहा करने की एवज में 60 हजार अमेरिकन डॉलर की मांग की थी। ऐसे में जिंदगी बचाने के लिए विकास थापा सहित उनकी कंपनी के लोगों ने पैसा इकट्ठा कर तालिबानी लोगों को 60 हजार अमेरिकन डॉलर दिए। इसके बाद तालिबानियों ने उनको एयरपोर्ट तक लाकर छोड़ा।

वापस लौटे पूर्व सैनिक रण बहादुर ने बताया कि अफगानिस्तान में जिस तरह के हालात पैदा हो रखे हैं वो बयां नहीं हो सकते। उन्होंने बताया कि जिस होटल में वे ठहरे हुए थे, वहां खुलेआम बाहर गोलीबारी हो रही थी और सड़कों पर तालिबानी घूम रहे थे। उन्होंने कहा कि वे भारतीय सेना से हैं और इसलिए उनको तालिबान के कब्जे के बावजूद भी इतनी घबराहट महसूस नहीं मगर उन्होंने कहा कि वहां पर बाकियों के हालात देखकर उनको ऐसा लग रहा था कि वे अगले दिन का सूरज भी नहीं देख पाएंगे।

वहीं अफगानिस्तान से लौटे पूर्व सैनिक मोहित कुमार क्षेत्री ने बताया कि वह ब्रिटिश दूतावास में 2020 से सिक्योरिटी गार्ड का काम कर रहे थे उन्होंने बताया कि जब तालिबान का कब्जा हुआ था तब उनको सुरक्षित एक होटल में रखा गया मगर उसके बावजूद भी बाहर खुलेआम तालिबानी घूम रहे थे और बेकसूर लोगों को मौत के घाट उतार रहे थे।

उन्होंने कहा कि अगले दिन ही उनको फ्लाइट से इंडिया भेजने की तैयारी की गई थी लेकिन उनको पहले दुबई लाया गया वहां से इंग्लैंड और उसके बाद इंग्लैंड से उनको वापस इंडिया लाया गया। बता दे कि अब भी अफगानिस्तान में उत्तराखंड के कई पूर्व सैनिक समेत नौकरी करने गए लोग फंस रखे हैं और उत्तराखंड सरकार द्वारा उनको वापस लाने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास किया जा रहा है।

वहीं, आपको बता दें कि अफगानिस्तान में इन दिनों हालात बद से बदतर हो गए हैं। अफगानिस्तान में हुए विद्रोह के बाद भारत मूल के कई नागरिक अफगानिस्तान फंसे हैं। इनमें से उत्तराखंड मूल के भी कई अफगानिस्तान में फंसे हैं, जिनमें से करीब 62 लोग आज अपने घर वापस लौटे हैं। लेकिन अभी भी कई लोग हैं जिनके परिजन भी जल्द व सकुशल उनकी घर पहुंचने की राह देख रहे हैं।