संजीव शर्मा,एनटीन्यूज़: कल बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत में महिलाओं की शादी की न्यूनतम उम्र को 18 वर्ष से बढ़ाकर 21 वर्ष करने के संबंध में जो फैसला लिया है उसका स्वागत करते हुए आनंद सेवा समिति की अध्यक्षा ममता सिंह ने केंद्र सरकार के साथ-साथ प्रधानमंत्री मोदी का हार्दिक अभिनंदन किया।

उन्होने कहा कि बेटियों को कुपोषण से बचाने के लिए यह आवश्यक हो गया था कि उनकी सही उम्र पर शादी हो ।  इसके लिए सरकार ने एक टास्क फोर्स की , स्थापना की थी, उसने इस सम्बंध में पुरजोर तरीके से तर्क दिया है, कि गर्भावस्था के समय महिला की उम्र कम से कम 21 वर्ष होनी चाहिए।  इससे लड़कियों शादी 21 वर्ष में होने पर परिवारों की अर्थिक, सामाजिक और स्वास्थ्य की स्थिति मजबूत हो जाती है।

इस कानुन के बन जाने पर सबसे बड़ा लाभ यह होगा है कि लड़कियों को पढ़ने और आजीविका चुनने का पर्याप्त समय मिल जाएगा। यह सभी जानते हैं कि बड़ी संख्या में लड़कियों की शादी होने की वजह से वे पढ़ाई से वंचित रह जाती हैं और समय से पूर्व ही ना चाहते हुए मां बनकर कुपोषण की शिकार हो जाती हैं और अनेक तरह की बीमारियां अपने सर पर लाद लेती हैं। जिसका खामियाजा पूरे जीवन उनको भुगतना पड़ता है और असमय ही काल के ग्रास में चली जाती हैं।

हालांकि अभी इसमें समय लग सकता है क्योंकि इसके लिए बाल विवाह निषेध अधिनियम , विशेष विवाह अधिनियम और हिंदू विवाह अधिनियम में बदलाव जरूरी हो जाएंगे। बाल विवाह पर रोक लगने से लड़कियों की सामाजिक शैक्षणिक आर्थिक और स्वास्थ्य की स्थिति में विगत दिनों में काफी सुधार आया है ! यदि विवाह की न्यूनतम उम्र 21 वर्ष होती है तो सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि लड़कियों का मनोबल बढ़ेगा । वे बाल विवाह जैसे अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने का साहस कर सकेंगी।

परिवार व समाज को बेटी की शादी के लिए 21 साल की होने का इंतजार करना पड़ेगा । कानून बनाने से ज्यादा जरूरी यह हे कि उसे संपूर्णता , नेक नियति और कड़ाई से लागू करना होगा. परिवार और समाज की बेटियों के व्यापक विकास के लिए ईमानदारी से सोचना चाहिए। अब भारत में पुरुष और महिला दोनों के लिए विवाह की न्यूनतम आयु 21 वर्ष हो जाएगी। इसके लिए केंद्र सरकार के साथ-साथ प्रधानमंत्री मोदी जी बधाई के पात्र हैं ।  इसके लिए हमारा सामाजिक संगठन आनंद सेवा समिति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का हार्दिक अभिनंदन करता है।