उत्तराखंड: जांच के लिए आगरा लैब भेजी गई रिवाल्वर के शस्त्र भंडार से गायब होने के 23 साल पुराने मामले में अब मुकदमा दर्ज किया है।  इस गलती पर पुलिस विभाग ने इतने वर्षों तक पर्दा डाले रखा। अब जाकर मामला खुला तो मुकदमा दर्ज किया गया।

मामला उत्तराखंड की राजधानी  देहरादून से जुडा़ है, जानकारी के मुताबिक साल 1993 में एक मुठभेड़ के दौरान बरामद रिवॉल्वर को शस्त्र भंडार में रखा गया था. इसके बाद 1999 में उस रिवॉल्वर को बैलेस्टिक जांच के लिए आगरा लैब भेजा गया था, लेकिन उसके बाद से लेकर आजतक रिवॉल्वर नहीं मिली।

चौंकाने वाली बात ये है कि अपनी लापरवाही छिपाने के लिए पुलिसकर्मी 23 साल तक इस मामले को दबाए रखा। हालांकि अब देहरादून पुलिस लाइन के प्रतिसार की तहरीर पर नेहरू कॉलोनी थाने में 23 बाद इस मामले में एक मुकदमा दर्ज कराया गया है।

पुलिस लाइन के प्रतिसार जगदीश चंद पंत ने अपनी शिकायत में बताया कि साल 1993 में मुठभेड़ को लेकर धारा 307 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। मुकदमे में बरामद .38 रिवॉल्वर भी बरामद की गई थी, जिसको पुलिस शस्त्र भंडार में रखा गया था।

जगदीश चंद पंत के मुताबिक इस रिवॉल्वर को 16 नवंबर 1999 को बैलेस्टिक जांच के लिए दारोगा जसवीर सिंह आगरा लैब लेकर गए थे। उसके बाद से ही रिवॉल्वर गायब है. उसके बाद 2005 में पुलिस जीडी और अन्य रिकॉर्ड को निपटाया जा चुका था। उस दौरान रिवॉल्वर का निस्तारण नहीं हो पाया था। गायब हुई रिवॉल्वर की खोजबीन 2020 में शुरू की गई. दून पुलिस द्वारा मार्च 2020 में आगरा लैब को पत्र भेजा गया, लेकिन लैब से उस दौरान का रिकॉर्ड नहीं होने की जानकारी दी।

इसके बाद यूपी पुलिस से रिकॉर्ड लेकर दारोगा जसवीर सिंह की तलाश की गई तो पता चला कि वह यूपी पुलिस में साल 2000 में रिटायर हो चुके हैं। पुलिस जसवीर सिंह के गांव बुलंदशहर पहुंचे तो पता चला कि अधिक उम्र होने के कारण याददाश्त कमजोर हो गई है और इस बारे में किसी भी तरह की जानकारी होने से जसवीर सिंह ने मना कर दिया।

पुलिस द्वारा जसवीर सिंह की रिवॉल्वर लेकर रवानगी जीडी तलाशी गई तो पता लगा कि जीडी रिकॉर्ड भी नष्ट कर दिया गया है। थाना नेहरू कॉलोनी प्रभारी प्रदीप राणा ने बताया कि पुलिस लाइन के प्रतिसार जगदीश चंद्र पंत की तहरीर के आधार पर पुलिस रिकॉर्ड से रिवॉल्वर गायब होने को लेकर मुकदमा पंजीकृत कर लिया गया है. पुलिस द्वारा मामले की जांच की जा रही है।