नवल टाइम्स न्यूज़, 13.02.2024 : आज राजकीय कला कन्या महाविद्यालय,कोटा में साहित्यिक मंच एवं हिंदी विभाग के तत्वावधान में ‘‘औपनिवेशिक काल में प्रतिबंधित साहित्य लेखन‘‘ विषय पर एक विशेष व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलन एवं माल्यार्पण से हुआ। कार्यक्रम की संयोजक श्रीमती सपना कोतरा, आयोजन सचिव डाॅ. हिमानी सिंह, सह आयोजन सचिव डॉ. मनीषा शर्मा, डाॅ. राजमल मालव रहे।

कार्यक्रम में विषय प्रवर्तन करते हुए डॉ. टी.एन. दुबे ने औपनिवेशिक काल में प्रतिबंधित साहित्य के अध्ययन एवं विश्लेषण की आवश्यकता पर अपने विचार प्रस्तुत किये।

कार्यक्रम में मुख्य वक्ता प्रो. गजेंद्र पाठक, केंद्रीय विश्वविद्यालय हैदराबाद, तेलंगाना ने ब्रिटिश साम्राज्य के उपनिवेशकाल की परिवेशगत स्थितियों, भारत में ब्रिटिश शासन की शोषणकारी नीतियों की विस्तृत जानकारी देते हुए तात्कालीन समय में प्रतिबंधित साहित्य पर अपने विचार व्यक्त किये।

डॉ. पाठक ने अपने व्याख्यान में कहा कि ब्रिटिश शासनकाल में दुनिया के किसी भी देश के स्वाधीनता आंदोलन से जुड़ी किताबें भारत में पूर्णतया प्रतिबंधित थी। परतंत्र भारत में अंग्रेजी शासन के अत्याचारों एवं शोषणवादी नीतियों के विरुद्ध आवाज़ उठाने वाले साहित्यकारों से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता छीनकर उनकी रचनाओं को ज़ब्त किया गया। चूंकि इन रचनाओं में गुलामी का काला सच छिपा है इसलिए आज हमें स्वाधीनता का मूल्य समझने के लिए इन रचनाओं के अध्ययन एवं विश्लेषण की आवश्यकता है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. सीमा चैहान ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि गुलाम भारत को आज़ाद कराने हेतु तात्कालीन साहित्यकारों ने राष्ट्रीय चेतना जागृत करने का महत्वपूर्ण कार्य किया था इसलिए देश की आज़ादी में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

आज आवश्यकता है कि औपनिवेशिक काल के प्रतिबंधित साहित्य एवं साहित्यकारों पर शोध कार्य किया जाए ताकि उनकी महत्ता से नई पीढ़ी परिचित हो सके।

कार्यक्रम में वरिष्ठ संकाय सदस्य डॉ. राजेंद्र माहेश्वरी, डॉ.रेनू शर्मा, डॉ. उमा बड़ोलिया, डॉ. दीप्ति जोशी, डॉ. कविता मीणा, डॉ. धर्मसिंह मीणा, मोहम्मद रिज़वान इत्यादि उपस्थित रहे।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. हिमानी सिंह ने किया।

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