जीतिन चावला एनटीन्यूज़: वीर शहीद केसरी चंद रा० स्नात महाविद्यालय,डाकपत्थर देहरादून के अंतर्गत आजादी के अमृत महोत्सव के तत्वाधान में ऑनलाइन विशेष व्याख्यान श्रृंखला में मुख्य वक्ता, फ्लाइंग ऑफिसर डॉ चमन लाल क्रांति सिंह, पत्रकारिता विभाग, बल्लभ राजकीय स्नात महाविद्यालय, मंडी, हिमांचल प्रदेश द्वारा “नाग आर्य संघर्ष और संधि: एक मीडिया चर्चा” विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफ(डॉ) जी आर सेमवाल द्वारा की गई। कार्यक्रम का संचालन डा राकेश जोशी, रसायन विभाग, संयोजक आई क्यू ए सी एवं ऑनलाइन व्याख्यान श्रृंखला द्वारा किया गया।

कार्यक्रम समन्वयक डॉ. राकेश मोहन नौटियाल, आयोजन सचिव डॉ. दीप्ति बगवाड़ी, आयोजन समिति सदस्यों में डॉ आशाराम बिजल्वाण,डा कामना लोहनी,डॉ. नीलम ध्यानी, डॉ. राजेंद्र प्रसाद बडोनी, डॉ. विनोद रावत, डॉ माधुरी रावत व डा अमित गुप्ता द्वारा व्याख्यान व्यवस्था देखी गई।

डॉ. चमन लाल क्रांति सिंह द्वारा बताया गया कि हिमालय युवा भूभाग होने के कारण हमेशा प्राकृतिक हलचलों व मानवीय हस्तक्षेप का केंद्र रहा है। हिमालय पर्वत केवल पत्थर और मिट्टी का पहाड़ ही नहीं बल्कि देश की आकांक्षा का प्रतीक है। हिमालय पर्वत श्रृंखला के साथ भारत के भूगोल, इतिहास, आर्थिक, संस्कृति, साहित्य, कला, संघर्षों व संधियों का गहरा संबंध है। हिमालय की उत्पत्ति अंगारा लैंड व गोंडवाना लैंड के आपस मे टकराने से हुई है। टकराने की प्रक्रिया टैथिस सागर में संघर्ष विनाश व विकास के साथ संपन्न हुई।

हिमालय पर्वत श्रृंखलाओं मे भौगोलिक विकास के साथ-साथ सांस्कृतिक संघर्ष मे नाग-आर्य संघर्ष और संधि महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ऋग्वेद से पूर्व काल में आर्यों का संघर्ष हिमालय पर्वतीय संघों से हुआ। ऋग्वेद में वर्णित नाग वंश के शासक शम्बर से आर्यों के राजा इंद्र का युद्ध हुआ। हिमालय पर्वत में पत्थर के सौ दुर्ग ( किलो) के स्वामित्व रखने वाले, हिमालय के जल स्रोतों पर अधिकार रखने वाले महाराजा शम्बर को आर्या 40 वर्ष तक युद्ध के बाद भी पराजित नहीं कर सके।

वल्लभ राजकीय महाविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग अध्यक्ष डॉ चमन लाल कांति सिंह ने कहा- विभिन्नता में एकता, संविधान की प्रस्तावना में निहित संविधानिक मूल्यों से आजादी के अमृत महोत्सव के महत्व को समझा जा सकता है। हम सब सबसे पहले भारतीय हैं और अंत में भी भारतीय ही हैं।

व्याख्यान मे प्राध्यापक वर्ग मे डॉक्टर आशुतोष त्रिपाठी डा एम एस पंवार, डॉक्टर मुक्ता डंगवाल,डॉ निरंजन प्रजापति,डा रोहित शर्मा, डा दर्शन सिंह आदि , व छात्र-छात्रा वर्ग में राहुल,विकास, अंजना, सरोज, पलक,आदेश, सबीना, सृष्टि, स्वेता, अफसाना, अतुल, मयंक, रिंकी, पूजा, हर्ष, प्रिया, मुस्कान, लक्ष्मी आदि उपस्थित रहे।