ऋषिकेश, 27 मई 2025:  पंडित ललित मोहन शर्मा परिसर, श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय, ऋषिकेश में आज गणित विभाग द्वारा एक विशेष शैक्षिक अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का विषय था:

फिबोनाच्ची अनुक्रम एवं गोल्डन रेशियो का विकास और महत्व पर चर्चा”।

इस आयोजन ने विद्यार्थियों, शोधार्थियों और शिक्षकों को गणित की गहराइयों, प्रकृति में छिपे अनुपातों, कलात्मक अभिव्यक्तियों और जीवन के गणितीय संरचना से रूबरू कराया।

यह व्याख्यान इस दृष्टिकोण को पुष्ट करता है कि गणित केवल सिद्धांतों की श्रृंखला नहीं, अपितु जीवन का सौंदर्यशास्त्र और विवेक का विज्ञान है।

विशेष आमंत्रित वक्ता प्रो. (डॉ.) संजय कुमार पाडलिया, विभागाध्यक्ष, गणित विभाग, एस.जी.आर.आर. (पी.जी.) कॉलेज, देहरादून, ने अपनी गहन, संवादात्मक और दृष्टिकोण-परिवर्तनकारी प्रस्तुति में फिबोनाच्ची अनुक्रम और गोल्डन रेशियो की ऐतिहासिक, गणितीय और अनुप्रयुक्त सार्थकतापर विस्तार से चर्चा की।उन्होंने बताया कि यह अनुक्रम और अनुपात न केवल संख्यात्मक पैटर्न हैं, बल्कि प्राकृतिक संरचनाओं, जैसे सूरजमुखी, देवदार वृक्ष, समुद्री सीपियाँ, मानव शरीर की संरचना, पिरामिड, टावर ऑफ पीसा, और लिओनार्डो डा विंची की पेंटिंग्स में भी सजीव रूप में देखे जा सकते हैं।प्रो. पाडलिया ने विद्यार्थियों को यह दिखाया कि संख्याएँ केवल गणना नहीं, बल्कि प्रकृति के संगीत, सौंदर्य और रचना का आधार हैं। उनका व्याख्यान गहन था, परंतु इतनी सहजता से प्रस्तुत किया गया कि हर स्तर का श्रोता उससे प्रभावित हुए बिना न रह सका।

कार्यक्रम की अध्यक्षता गणित विभागाध्यक्ष प्रो. अनीता तोमर ने की। उन्होंने अपने स्वागत भाषण में कहा:“गणित अब केवल कक्षा तक सीमित नहीं रहा, यह हमारे चारों ओर है — प्रकृति, कला, संगीत और यहां तक कि वास्तुकला में भी। फिबोनाच्ची अनुक्रम और गोल्डन रेशियो इस सर्वव्याप्तता का साक्षात् प्रमाण हैं।”

उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रकार के व्याख्यानों से छात्रों में गणित के प्रति जिज्ञासा, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और शोध की प्रवृत्ति विकसित होती है। विभाग की ओर से उन्होंने प्रो. पाडलिया का आभार प्रकट किया और कहा कि विद्यार्थियों को विषय को इस प्रकार से अनुभूत करने का अवसर मिलना अत्यंत लाभकारी है।”गणित को केवल विषय न मानकर जीवन का परिप्रेक्ष्य मानने की आवश्यकता है।

फिबोनाच्ची और गोल्डन रेशियो जैसी अवधारणाएँ हमें यह समझने में मदद करती हैं कि ब्रह्मांड में जो सौंदर्य और संरचना है, वह गणित के नियमों पर आधारित है।” माननीय कुलपति प्रो. एन. के. जोशी के दूरदर्शी नेतृत्व, प्रोत्साहन और नवाचारशील सोच के बिना ऐसे उच्चस्तरीय शैक्षणिक आयोजन संभव नहीं हो सकते। उनके मार्गदर्शन में विश्वविद्यालय शिक्षा, अनुसंधान और रचनात्मकता की दिशा में निरंतर अग्रसर है।

इस व्याख्यान के संदर्भ में उनका योगदान प्रेरणास्त्रोत के रूप में याद किया गया और यह स्पष्ट किया गया कि कुलपति महोदय की शैक्षिक सोच संस्थान की प्रगति की आधारशिला है।

इस आयोजन में , डॉ. पवन जोशी, शोधार्थियों और लगभग 70 M.Sc. विद्यार्थियों की सक्रिय और उत्साही सहभागिता रही। प्रमुख शोधार्थियों में सम्मिलित थे: सजल पाल, शिवानी रावत, मुकेश सुगेड़ा, रश्मि राय, गीता वोहरा ।

इन शोधार्थियों ने न केवल व्याख्यान को गंभीरता से सुना, बल्कि प्रश्नोत्तर सत्र में महत्वपूर्ण सवाल पूछकर व्याख्यान को और भी संवादात्मक और विचारोत्तेजक बना दिया। छात्र-छात्राओं की भागीदारी ने यह सिद्ध कर दिया कि आज की युवा पीढ़ी गणित जैसे जटिल विषयों में भी गहरी रुचि और शोध की आकांक्षा रखती है।

कैंपस निदेशक प्रो. एम. एस. रावत ने गणित विभाग के प्रयासों की भूरि-भूरि प्रशंसा की और भविष्य में भी ऐसे आयोजन करते रहने का आह्वान किया। इस अवसर पर डॉ. प्रीत पाल, गणित विभागाध्यक्ष की भी गरिमामयी उपस्थिति रही।

 

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