आज दिनांक 15 नवंबर 2024 को इंदिरा प्रियदर्शिनी राजकीय स्नातकोत्तर महिला वाणिज्य महाविद्यालय में एनसीसी, एनएसएस और रेंजर इकाई के संयुक्त तत्वाधान में जनजातीय गौरव दिवस के रूप में संगोष्ठी का आयोजन कर भगवान बिरसा मुंडा की जयंती मनाई गई।
संगोष्ठी का शुभारंभ करते हुए प्राचार्य प्रो0 आभा शर्मा ने बिरसा मुंडा जयंती और गुरुनानक जयंती की बधाई देते हुए कहा कि भगवान बिरसा मुंडा ने ब्रिटिश राज के दौरान 19वीं शताब्दी के अंत में बंगाल प्रेसीडेंसी, जो अब झारखंड में है, हुए एक आदिवासी धार्मिक सहस्राब्दी आंदोलन का नेतृत्व किया, जिससे वह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति बन गए।
भारत के आदिवासी उन्हें भगवान मानते हैं और वे ‘धरतीबा’ के नाम से भी जाने जाते हैं। मुख्य वक्ता डॉ0 फकीर सिंह ने कहा कि बिरसा मुंडा से पहले जितने भी विद्रोह हुए वह जमीन बचाने के लिए हुए।
लेकिन बिरसा मुंडा ने तीन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आन्दोलन किया। पहला, वह जल, जंगल, जमीन जैसे संसाधनो की रक्षा करना चाहते थे। दूसरा, नारी की रक्षा और सुरक्षा तथा तीसरा, वे अपने समाज की संस्कृति की मर्यादा को बनाये रखना चाहते थे। 1894 में सभी को संगठित कर बिरसा मुंडा ने अंग्रेजों से लगान माफी के लिए आन्दोलन चलाया।
राष्ट्रीय सेवा योजना प्रभारी डॉ0 रितुराज पंत ने कहा कि आज की पीढ़ी को भी आगे आके भगवान बिरसा मुंडा के दिखाए रास्ते में चलना चाहिए। पर्यावरण संरक्षण के उपाय अपने स्वयं से करते हुए अन्य को भी जागरुक करना चाहिए।
कार्यक्रम का संचालन एनसीसी प्रभारी डॉ0 रेखा जोशी ने किया। इस अवसर पर रेंजर इकाई की प्रभारी डॉ0 विद्या कुमारी, डॉ0 हिमानी, यशोधर नाथ, गौरव जोशी आदि उपस्थित रहे।