देवेंद्र कुमार सक्सेना तबला वादक संगीत विभाग राजकीय कला कन्या महाविद्यालय कोटा ने श्रावणी पर्व का प्राचीन एवं रक्षा बंधन का पौराणिक महत्व को सरल भाषा में व्यक्त किया है…
जिस प्रकार वैश्यों के लिए दीपावली, क्षत्रियों के लिए दशहरा सबसे बड़े पर्व है इसी प्रकार
वैदिक परम्परा के अनुसार वेद पाठी ब्राह्मणों के लिए श्रावण मास की पूर्णिमा सबसे
बड़ा पर्व है। श्रावणी पूर्णिमा के दिन ब्रह्म निष्ठ जीवन जीने वाले ब्राह्मण अपने पुराने यज्ञोपवित जनेऊ को बदलते हैं संकल्प पूर्वक नया यज्ञोपवित धारण करते हैं। यह क्रम प्रातः काल किया जाता है।
श्रावणी पर्व पर रक्षा विधान की परम्परा…..
इस दिन वैदिक और पौराणिक मंत्रों से अभिमंत्रित कलावा धारण किया जाता है।
कलावे के तीन धागे आत्म रक्षा, धर्म रक्षा एवं राष्ट्र रक्षा के तीन सूत्र में संकल्पित होते हैं ।
हेमाद्रि संकल्प (हिमालय के समान महान संकल्प) की प्राचीन परंपरा के अनुसार पवित्र नदियों के जल में खड़े होकर जगत गुरु भारत की महान परम्पराओं को श्रध्दा पूर्वक सामूहिक रूप से याद करते हैं।
सर्व प्रथम मानव पाप , दुष्कर्म, समाज के नियमों के विरुद्ध कर्मो के प्रायश्चित का विधान है।
इस हेमाद्रि महा संकल्प में हमारे भारत के प्राचीन विशाल समृद्ध शाली वन प्रदेशों जैसे बद्रिकारण्य, दंडकारण्य, अरावली, द्राक्षारण्य, द्वैतारण्य, नैमिषारण्य, अवंतिवन आदि इसी प्रकार पर्वत श्रृंखला के क्रम में सुमेरु कूट पर्वत, हेमकूट, रजकूट, चित्रकूट, किश्किन्धा, कश्मेरु, विन्ध्याचल, नीलगिरि आदि इसके साथ ही तीर्थ क्षेत्रों, शिव एवं शक्ति के उपासना स्थलों विभिन्न पवित्र नदियों आदि को संकल्प में बाधा गया है।
ताकि हम अपनी प्राचीन अखंड विरासत का सम्मान और स्मरण कर प्रतिवर्ष श्रावणी पर्व पर यह संकल्प लें कि भारत वर्ष की वसुदेव कुटुम्बकम की भावना हमें एक सूत्र में बंधने की प्रेरणा प्रदान करें।
कोई विघटन, कारी शक्ति, आसुरी- वृत्ति हमारी एकता अखंडता को छिन्न भिन्न न करें।
श्रावणी पर्व हमें अपने पूर्व कर्मो के प्राश्चित की प्रेरणा देता है। सद् साहित्य के पठन पाठन से जीवन में सद्गुणों का बीजारोपण करें। ताकि यह मानव जीवन सार्थक हो सके।
मनाएं श्रावणी पर्व, प्राश्चित करें पापों का।
करें सद्गुणों को धारण, तजें जीवन प्रलापों का।।
कुछ सदियों से आज श्रावणी पूर्णिमा का दिन रक्षा बंधन पर्व के रूप में मनाया जाता है। जिसे सभी सनातनी भारतीय हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। बहिनें भाईयों की कलाई पर राखी बांधती हैं भाई बहनों को उपहार देते हैं।
रक्षा बंधन का पौराणिक महत्व…
भगवत पुराण एवं विष्णु पुराण के अनुसार भगवान विष्णु ने राजा बलि को हराकर तीनों लोकों में आधिपत्य कर लिया और राजा बलि की प्रार्थना पर भगवान विष्णु बलि के महल में रहने लगे। इस निर्णय से लक्ष्मी जी विचलित हो गई और उन्होंने राजा बलि को रक्षा सूत्र बांधकर भाई बना लिया और भगवान विष्णु को उपहार में मांग लिया।
अन्य पौराणिक कथा में मृत्यु के देवता यम अपनी बहन यमुना से 12 वर्ष तक मिलने नहीं आये तब यमुना ने गंगा से अपना दुख व्यक्त किया गंगा ने यम को बहन यमुना की पीड़ा बताई तब यम अपनी बहन से भेंट करने हेतु आए बहिन यमुना ने अपने भाई का विभिन्न प्रकार से आदर सत्कार किया अतः रक्षा बंधन के दिन इंहे याद किया जाता है। इसी प्रकार द्रोपदी ने भगवान श्रीकृष्ण की रक्षा के लिए उन्हें रक्षा सूत्र बाधां था।
गुंजाएं ‘वयम् राष्ट्रे जागृतायम पुरोहिता’ ‘
आइये आज हम पुरोहित संकल्प लें कि हम राष्ट्र को जीवंत और जागृत रखेंगे।।
सभी पाठकों को रक्षा बंधन एवं श्रावणी पर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभ कामनाएँ
देवेंद्र कुमार सक्सेना
तबला वादक संगीत विभाग राजकीय कला कन्या महाविद्यालय कोटा राजस्थान