राजकीय कला कन्या महाविद्यालय कोटा में दिशा परामर्श केंद्र एवं कोप (काउंसलिंग एंड आउटरीच फॉर पीयर एम्पोवेर्मेंट) संस्था के संयुक्त तत्वाधान में मानसिक स्वास्थ्य विषय पर एक तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का प्रारंभ किया गया।
दिशा केंद्र की प्रभारी निधि मीणा ने कार्यक्रम के आरम्भ में सभी का स्वागत और आभार व्यक्त किया और कार्यक्रम की रूपरेखा व रणनीति को स्पष्ट किया. केंद्र की सदस्य डॉ. ज्योति सिडाना ने प्रशिक्षण का उद्देश्य बताते हुए कहा कि इस प्रशिक्षण के माध्यम से छात्राओं को मानसिक स्वास्थ्य के बारे में समाज, पडौस और परिवार में जागरूकता फ़ैलाने के लिए मेंटर के रूप में तैयार करना है।
उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसे हमें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे हमारे विचार, भावनाएं और व्यवहार प्रभावित होते हैं। मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं को छुपाने की जरूरत नहीं है, बल्कि उन्हें खुलकर साझा करना चाहिए।
महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो. सीमा चौहान ने विद्यार्थियों को बताया कि आज के तनाव भरे परिवेश में शारीरिक स्वास्थ्य के साथ साथ मानसिक रूप से स्वस्थ होना भी बेहद जरुरी है. मानसिक स्वास्थ्य के लिए सही जीवनशैली, खानपान, और व्यायाम महत्वपूर्ण हैं। और इसके आलावा आवश्यकता पड़ने पर मनोचिकित्सक या विशेषज्ञ से परामर्श और चिकित्सा लेना भी जरूरी है।
उन्होंने प्रशिक्षण में सहभागिता कर रही छात्राओं से यह अपेक्षा की कि तीन दिन के प्रशिक्षण के बाद वे एक कुशल मेंटर बन संकेगे. कार्यक्रम की मुख्य वक्ता और कोप संस्था से सम्बद्ध मनोवैज्ञानिक रुतिका खंडोल ने मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में अंतर बताया और बताया कि किस तरह मानसिक स्वास्थ्य हमारे रिश्तों और जीवन को प्रभावित करता है।
उन्होंने बताया कि भारत में 3 लाख भारतियों पर एक मनोचिकित्सक और 12 लाख भारतियों पर एक मनोवैज्ञानिक उपलब्ध है जबकि मानसिक बिमारियों का सामना कर रहे 15 करोड़ भारतियों में से 1 करोड़ छात्र हैं. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि हमारे देश में मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति क्या होगी. उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य में फर्स्ट एड के लिए एलजी यानी एप्रोच, लिसन, गिव सपोर्ट, एन्करेज का एक्शन प्लान दिया. और कुछ घटनाओं को उदहारण से समझाते हुए समूह गतिविधियाँ भी करवाई।