गढ़भोज दिवस को महाविद्यालय द्वारा वृहद स्तर पर बनाया गया । गढ़भोज दिवस बनाने का उद्देश्य पौष्टिक और औषधिय गुणों से भरपूर उत्तराखंड के पारंपरिक भोजन और फसलों को लोकप्रिय बनाना है ।

इस अवसर पर महाविद्यालय में सर्वप्रथम निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसका विषय गढ़भोज था ।जिसमें महाविद्यालय के छात्राओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। जिसमें प्रथम द्वितीय एवं तृतीय स्थान रीमल नेगी बीए प्रथम सेमेस्टर ,आस्था भंडारी बीएससी तृतीय सेमेस्टर, विपिन सिंह बीएससी तृतीय सेमेस्टर ने पाया ।

तत्पश्चात महाविद्यालय के छात्र छात्राओं एवं प्राध्यापकों द्वारा व्यंजन प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। जिसमें छात्र-छात्राओं एवं प्राध्यापकों द्वारा उत्तराखंड के पारंपरिक व्यंजनों जैसे झंगोरा की खीर, कुलत की दाल की पूरी, सोयाबीन के पराठे , कुलट की दाल के चीले, मीठा भात आदि बनाए गए। जिसमें छात्र-छात्राओं से में क्रमशः प्रथम,द्वितीय, तृतीय स्थान प्राप्त किया कुमारी मनीषा बीए प्रथम सेमेस्टर, मुस्कान बीए प्रथम सेमेस्टर, बिंदु पवार बीए तृतीय सेमेस्टर ।

 

गढ़भोज दिवस के अवसर पर प्रभारी प्राचार्य डॉक्टर कृष्ण डबराल ने कहा कि उत्तराखंड का पारंपरिक भोजन दुनिया के चुनिंदा भोजन में से एक है जो भूख मिटाने के साथ-साथ औषधि का भी काम करता है ।

महाविद्यालय के सांस्कृतिक परिषद के संयोजक डॉक्टर खुशपाल ने कहा ने कहा कि आज की पीढ़ी परंपरागत भोजन और मोटे अनाज को जाने और इसे अपनी थाली का हिस्सा बनाएं।डॉक्टर अशोक अग्रवाल ने कहा कि पहाड़ की फसल पारिस्थितिक तंत्र में संतुलन बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के पारंपरिक खाद्य पदार्थ न केवल स्वादिष्ट हैं बल्कि पौष्टिकता से भरपूर है और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले भी हैं ।डॉक्टर मोनिका असवाल ने कहा कि मांडवा झंगोरा मधुमेह के लिए रामबाण है जबकि कुलत का सूप गुर्दे की पथरी और चोलाई प्रथम चरण के कैंसर के लिए उपयोगी है ।

इस अवसर पर महाविद्यालय के सभी प्राध्यापक गण व कर्मचारी गण द्वारा उत्तराखंड के पारंपरिक व्यंजनों का स्वाद लिया गया। जिसमें डॉo प्रमोद कुमार,डॉo विनीत कुमार, डॉo कुलदीप, डॉo आराधना, डॉo आलोक, डॉoदीपक, डॉo कपिल सेमवाल, डॉo मनोज बिष्ट एवं सभी कर्मचारी और छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।