राजकीय महाविद्यालय पाबौ, पौड़ी (गढ़वाल) संस्कृत-विभाग द्वारा दिनांक 14 अक्टूबर 2025 को “श्रीमद्भगवद्गीता में आत्मप्रबंधन एवं जीवन-दर्शन” विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ प्राचार्य एवं प्राध्यापकों द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ प्रातः 11 बजे पूर्वाह्न में हुआ। दीप प्रज्वलन के बाद महाविद्यालय की छात्रा कविता ने आचार्य जानकी वल्लभ शास्त्री द्वारा रचित “निनादये नवीना मये वाणी वीणा” मंगलाचरण कर मां शारदे का वंदना किया।
इसके अनंतर संस्कृत-विभाग के सहा. प्राध्यापक डॉ. धर्मेन्द्र सिंह ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए सर्वप्रथम उत्तराखंड व देश के विभिन्न प्रान्तों से जुड़े हुए प्राचार्यों, प्राध्यापकों, शोधार्थियों, विद्यार्थियों का स्वागत करते हुए वक्ताओं का विस्तृत परिचय दिया। इस कार्यक्रम में विशिष्ट वक्ता के रूप में हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय, धर्मशाला में संस्कृत-विभाग में सहायक आचार्य डॉ. नरेन्द्र कुमार पांडेय जी रहे ।
उन्होंने कहा कि गीता हमें समस्त सुख-दुःख आदि द्वन्दों से ऊपर उठकर समता का मार्ग बताती है। डॉ. पांडेय ने श्रीमद्भगवद्गीता में आत्मप्रबंधन तत्व की व्याख्या करते हुए कहा कि प्रत्येक व्यक्ति के लिए आत्मप्रबंधन आवश्यक है जिससे स्वस्थ समाज का निर्माण हो सकता है। इसके बाद सह-वक्ता डॉ. सुनीता चौहान जी ने गीता में वर्णित तीनों गुणों का व्यक्ति के कर्म पर प्रभाव का वर्णन करते हुए अभ्यास और वैराग्य की चर्चा की।
इसी क्रम में व्याख्यान के मुख्य वक्ता राजकीय महाविद्यालय बेतालघाट, नैनीताल के प्राचार्य प्रो. विनय कुमार विद्यालंकार जी ने श्रीमद्भगवद्गीता की पृष्ठभूमि भर प्रकाश डालते हुए गीता में निहित कर्मयोग, भक्तियोग और ज्ञानयोग पर विस्तार से प्रकाश डाला।
डॉ. विद्यालंकार जी ने कहा कि गीता वेदों के सभी सिद्धांतों को अपने अंदर समाए हुए हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. सत्य प्रकाश शर्मा जी ने विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों का मार्गदर्शन करते हुए निरंतर अपने पथ पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। डॉ. शर्मा जी ने श्रीमद्भगवद्गीता को उपनिषदों का सार कहते हुए प्राप्त कर्मफल में अनासक्ति के भाव को जागृत करने के लिए कहा।
अंत में डॉ० मुकेश कुमार (सहायक प्राध्यापक अर्थशास्त्र विभाग) द्वारा सभी वक्ताओं ,प्राध्यापकों एवं प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापन किया गया। वेबिनार की सफलता में महाविद्यालय के प्राध्यापकों डॉ. रजनी बाला, डॉ. तनुजा रावत, डॉ. धनेन्द्र पंवार, डॉ. सरिता, श्री देवराज तथा कार्यालय से कनिष्ठ सहायक श्री महेश सिंह, विजेंद्र बिष्ट आदि का विशेष योगदान रहा।
वर्चुअल माध्यम से सम्पन्न इस कार्यक्रम में देश के विभिन्न प्रान्तों से 135 प्रतिभागियों ने पंजीकरण कराया।