आज दिनांक 24 मार्च को राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय मालदेवता (रायपुर) के रसायन विज्ञान विभाग द्वारा राष्ट्रीय हितों के परिपेक्ष में जी- 20 विषय पर राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर वेबिनार की संरक्षक एवं महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर वंदना शर्मा ने कहा कि वैश्विक धरातल पर जी- 20 का अपना विशेष महत्व है जिसमें सस्टेनेबल डेवलपमेंट को विशेष महत्व दिया गया है। उन्होंने बताया कि जैविक खेती वर्तमान समय की आवश्यकता है अतः सभी को पीने का साफ पानी एवं खाने का शुद्ध भोजन मिल जाए तो यह बहुत बड़ी उपलब्धि है।

उन्होंने बताया की जी- 20 की अध्यक्षता भारत के लिए गौरव का विषय है जिससे भारतीय जीवन शैली और वसुधैव कुटुम्बकम की विचार धारा को वैश्विक मंच पर स्थापित करने का अवसर मिलेगा। इसी क्रम में प्रोफेसर शर्मा ने कहा कि राजकीय महाविद्यालय मालदेवता ऋषिकेश ने विज्ञान दिवस के अवसर पर यूसर्क की निदेशक प्रोफ़ेसर अनीता रावत को महाविद्यालय की वर्मी कम्पोस्ट यूनिट में निर्मित केचुवे की खाद प्रदान कर एक नई पहल की है जिससे जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा सके।

इसी क्रम में कार्यक्रम संयोजक प्रोफेसर महेंद्र सिंह पवार ने बताया कि जी- 20, 19 देशों और एक यूरोपियन संघ का संगठन है जो विश्व की 85 % जी०डी० पी० , 75% व्यापार एवं दो-तिहाई जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करता है।

आजादी के अमृत काल में जी-20 की अध्यक्षता भारत के लिए एक सुनहरा अवसर है| मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए प्रोफेसर अरुण कुमार दुबे ने कहा कि जी-20 में स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया गया । आखिरी व्यक्ति तक स्वास्थ सुविधाओं को पहुंचाना एक चुनौती है। उन्होंने बताया कि भारत में आयुष्मान योजना एक बहुत ही महत्वाकांक्षी कदम है जिसमें करीब 50 करोड़ भारतवासियों को हेल्थ सुरक्षा प्रदान की जाती है।

उन्होंने बताया कि अमेरिका जैसे विकसित राष्ट्र में भी ओबामा केयर में मात्र 10 करोड़ लोगों को स्वास्थ्य संरक्षण प्रदान किया है| इसी क्रम में उन्होंने बताया कि कार्बन के उत्सर्जन में भारत का योगदान मात्र 6% है जबकि अनेक विकसित राष्ट्र 28 से 30% तक कार्बन का उत्सर्जन करते हैं।

जी-20 की बैठकों में सामूहिक विकास को दृष्टि में रखकर इन विषयों पर भी चर्चा होती प्रोफ़ेसर दुबे ने बताया कि विश्व इस चीज को समझने लगा है की आध्यात्मिक विकास के बिना भौतिक विकास भी टिकाऊ नहीं हो सकता इसीलिए इस बार जी-20 का सन्देश एक पृथ्वी एक परिवार और एक भविष्य भविष्य रखा गया है।

इसी क्रम में बोलते हुए सिद्धार्थ नगर विश्वविद्यालय से प्रोफेसर सुनीता त्रिपाठी ने कहा कि वसुधैव कुटुंबकम का जो स्लोगन जी-20 में दिया गया है उसको चरितार्थ करने का साहस केवल और केवल भारत में है, उन्होंने बताया कि विश्व के लिए भले ही यह स्लोगन हो परंतु भारत के लिए उसकी जीवनशैली का हिस्सा है उन्होंने कहा कि जहां एक ओर दुनिया कोविड 19 से भी पूरी तरह बाहर नहीं निकल पायी वही जी-20 की बैठक भारत के लिए दोहरी चुनौती वाला है। वर्तमान समय में वैश्वीकरण के युग में जब विश्व जोड़ने की बात कर रहा है ऐसे में रूस और यूक्रेन का युद्ध तथा अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वार विश्व को पुनः बांट रहा है।

परंतु पिछले एक-दो दशकों में भारत ने विश्व में अपनी विशेष पहचान बनाई है तथा सभी देशों से अपने संबंधों को मजबूत किया है , और यही कारण है कि आपस में युद्ध करने वाले रूस और यूक्रेन दोनों ही भारत की तारीफ करते हैं।

जी-20 के एक संस्थापक सदस्य के रूप में भारत द्वारा जी-20 की अध्यक्षता निश्चित रूप से एक बड़ा अवसर है प्रोफेसर त्रिपाठी ने कहा कि सूचना क्रांति के समय में मोबाइल और इंटरनेट द्वारा विश्व बहुत छोटा हो गया है और ऐसे में सभी एक दूसरे से जुड़े हैं लेकिन डिजिटल ट्रांजैक्शन आज के समय में एक बड़ी क्रांति है जिसके द्वारा पारदर्शिता लाई जा सकती है।

भारत के द्वारा जन -धन योजना तथा आधार कार्ड द्वारा सभी को डिजिटल व्यवस्था से जोड़ना एक बहुत बड़ा कदम है| इस अवसर पर बोलते हुए कार्यक्रम के सचिव डॉ दयाधर दीक्षित ने कहा कि निश्चित रूप से जी-20 की अध्यक्षता एक जिम्मेदारी है अपितु प्रकृति के साथ संबंध में स्थापित करते हुए भारतीय जीवन शैली को वैश्विक मंच पर रखने का एक बड़ा अवसर भी है यह अवसर न सिर्फ भारत के लिए बल्कि संपूर्ण विश्व में शांति और समन्वय के लिए मील का पत्थर साबित होगा।
इस अवसर पर प्रो दक्षा जोशी प्रो पूजा कुकरेती डॉ ज्योति खरे डॉ डिंपल भट्ट डॉ अनीता चौहान डॉक्टर शैलेंद्र कुमार डॉ श्रुति चौकियाल, डॉ शशि बाला उनियाल डॉ शालिनी नौटियाल डॉ मनीषा सांगवान सहित 100 से अधिक छात्र छात्राओं ने प्रतिभाग।