चुनाव आयोग ने गुरुवार को राष्ट्रपति चुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी है। देश के सांसद और विधायक नया राष्ट्रपति चुनने के लिए 18 जुलाई को मतदान करेंगे जबकि वोटों की गिनती 21 जुलाई को होगी। 21 जुलाई को ही इस चुनाव का नतीजा भी आ जाएगा और देश के नए राष्ट्रपति का नाम भी सामने आ जाएगा।

राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद जी का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है। संविधान के अनुच्छेद 62 के अनुसार, अगले राष्ट्रपति का चुनाव कार्यकाल पूरा होने से पहले होना चाहिए। 2017 में, भारत के राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव 17 जुलाई को हुआ था और परिणाम 20 जुलाई को घोषित किया गया था।

कुल 776 सांसद लेंगे वोटिंग में हिस्सा
वोटर को अपनी पसंद के कैंडिडेट के सामने 1, 2, 3 लिखकर बतानी होगी। 776 सांसद वोटिंग में हिस्सा लेंगे। कोई भी राजनीतिक दल अपने सदस्यों के लिए व्हिप जारी नहींकरेगा। www.navaltimes.in

राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग सांसद संसद भवन नई दिल्ली में वोट करेंगे। वहीं, विधानसभा के सदस्य अपनी विधानसभा में वोट कर सकेंगे। किसी आपात स्थिति में सांसद और विधायक कहीं भी वोट डाल सकते हैं लेकिन इसके लिए उन्हें 10 दिन पहले चुनाव आयोग को बताना होगा।

सांसद के वोट की वेटेज

सांसदों के मतों के वेटेज का गणित अलग है। सबसे पहले सभी राज्यों की विधानसभाओं के इलेक्टेड मेंबर्स के वोटों का वेटेज जोड़ा जाता है। अब इस सामूहिक वेटेज को राज्यसभा और लोकसभा के इलेक्टेड मेंबर्स की कुल संख्या से डिवाइड किया जाता है। इस तरह जो नंबर मिलता है, वह एक सांसद के वोट का वेटेज होता है। अगर इस तरह भाग देने पर शेष 0.5 से ज्यादा बचता हो तो वेटेज में एक  बढ़ जाता है।

विधायक के वोट की वेटेज

विधायक के मामले में जिस राज्य का विधायक हो, उसकी आबादी देखी जाती है। इसके साथ उस प्रदेश के विधानसभा सदस्यों की संख्या को भी ध्यान में रखा जाता है। वेटेज निकालने के लिए प्रदेश की पॉपुलेशन को इलेक्टेड एमएलए की संख्या से डिवाइड किया जाता है। इस तरह जो नंबर मिलता है, उसे फिर 1000 से डिवाइड किया जाता है। अब जो आंकड़ा हाथ लगता है, वही उस राज्य के एक विधायक के वोट का वेटेज होता है। 1000 से भाग देने पर अगर शेष 500 से ज्यादा हो तो वेटेज में 1 बढ जाता है।