रैगिंग से परेशान मेडिकल की छात्रा ने की खुदकुशी करने की कोशिश, रैगिंग से मानसिक रूप से परेशान थी छात्रा , कपड़े उतरवाकर सीनियर छात्राएं करती थीं रैंगिंग।

पिछले साल तो कोरोना महामारी के कारण देशभर में स्कूल-कॉलेज बंद रहे, इसलिए रैगिंग के कहीं से कोई मामले सामने नहीं आए लेकिन स्थिति बेहद चिंतनीय है। हरियाणा के जिला हिसार में एक मेडिकल की छात्रा ने रैगिंग से परेशान हो कर खुदकुशी करने की कोशिश की है।  छात्रा का आरोप है कि उसकी दो सीनीयर छात्राएं उसके साथ लंबे समय से अश्लील तरीके से रैगिंग कर रही थीं, जिसके चलते वो मानसिक रूप से परेशान हो चुकी थी. छात्रा के बयान दर्ज करने के बाद हिसार अर्बन इस्टेट थाना पुलिस ने आरोपी सीनियर छात्रा दिव्यांशी रनियाल और दीपिका सिकरीवाल के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।

छात्रा ने बताया कि 2018 में उसका अग्रोहा मेडिकल कॉलेज में दाखिला हुआ था। तब से उसके सीनियर छात्रा दिव्यांशी और दीपिका रात को जबरदस्ती उसे हॉस्टल की छत पर लेकर जाती और उसके सारे कपड़े उतरवाकर उसके साथ अश्लील तरीके से छेड़छाड़ करतीं. छात्रा का कहना है कि इसकी मौखिक शिकायत वार्डन को भी की गई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।

पीड़ित छात्रा ने बताया की उसने 2019 में इस बारे में कॉलेज के डॉ. महेश को बताया था, जिसके बाद इन छात्राओं को समझा कर छोड़ दिया गया। इसके बाद भी इनकी हरकतों में सुधार नहीं हुआ। छात्रा ने बताया कि शुक्रवार को जिंदल अस्पताल में डॉ. महेश को वो दोबारा शिकायत देने गई थी, लेकिन डॉ. महेश ने उसे बताया कि आरोपी दोनों लड़कियों ने पहले से ही उसके बारे में बहुत कुछ गलत बोला हुआ है। ऐसे में नाम खराब होने और लगातार टॉर्चर होने के चलते उसने हिसार के जिंदल अस्पताल की खिड़की से छलांग लगा दी। फिलहाल छात्रा की जान बच गई है, लेकिन उसे गंभीर चोटें आई है।

पीड़ित छात्रा की मां ने भी आरोपी छात्राओं पर गंभीर आरोप लगाया. पीड़ित छात्रा की मां का कहना है कि दोनों लड़कियों की ओर से उससे हॉस्टल में शराब मंगवाई जाती थी। उसको जबरदस्ती पिलाने की कोशिश भी की जा रही थी। लड़की की शिकायत पर हिसार पुलिस ने धारा 354 (स्त्री की लज्जा भंग करने के आशय से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग), 499 (मानहानि), 506 (धमकाना), 34 (जब एक आपराधिक कृत्य सभी व्यक्तियों ने सामान्य इरादे से किया हो, तो प्रत्येक व्यक्ति ऐसे कार्य के लिए जिम्मेदार होता है) और एंटी रैगिंग एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया है। वहीं कॉलेज में भी जांच के लिए उच्च स्तरीय कमेटी बनाई गयी है, जो तीन दिन में अपनी रिपोर्ट देगी।

तमाम कॉलेजों में एंटी रैगिंग यूनिट होने के बाद भी बहुत से कॉलेजों में आज भी रैगिंग होती है और अक्सर देखा जाता है कि ऐसे मामलों में कॉलेज प्रशासन की भूमिका भी संतोषजनक नहीं होती, जो सीनियर छात्रों को कहीं न कहीं प्रोत्साहित करने का ही काम करती है।

बहरहाल, सिर्फ शिक्षण संस्थानों के प्रोस्पैक्ट्स में ही रैगिंग पर प्रतिबंध की बात कहने और कॉलेज के नोटिस बोर्ड पर इस संबंध में एक छोटा सा नोटिस चस्पां कर देने से ही काम नहीं चलने वाला। जरूरत इस बात की है कि कॉलेज प्रशासन रैगिंग में लिप्त पाए जाने वाले छात्रों के खिलाफ कठोर कदम उठाए और उन्हें न केवल तुरंत कॉलेज से निकाल दिया जाए बल्कि ऐसी व्यवस्था भी की जाए कि ऐसे छात्र जीवनभर कोई भी व्यावसायिक डिग्री हासिल न कर पाएं ताकि तमाम कॉलेजों के छात्रों के लिए एक सबक बने।