विजय पांचाल द्वारा रचित पिता को समर्पित, दिल को छूने वाली कविता  “पिता”

“पिता”

संतान सृजन आधार पिता

माँ के श्रृंगार का सार पिता

घर की जिम्मेदारियों का भार पिता

बुजुर्ग माँ-बाप की सेवा का हकदार पिता

जवान बेटी की चिंता का अधिकार पिता

परिवार की एकता, सुरक्षा का हवलदार पिता

पिता से ही रोटी ,कपड़ा, मकान है !

पिता ही नन्हे से परिंदो का बड़ा-सा आसमान है !

पिता की जिम्मेदारियाँ संतान के ऊपर एहसान है !

पिता से बच्चो के चेहरे पर मुस्कान है !

परिवार की जिम्मेदारी कंधों पर ढोता है पिता

घर की खुशिंंयों को समेटने के तनाव में,

रात में भी नही सो पाता है पिता

चेहरे पर मुस्कान किन्तु हृदय से रोता है पिता

अपने शौक किसी को नही बता पाते है

अपने दु:ख को परिवार में नही जता पाते

पिता से ही सारे सपने है

पिता है तो बाजार के सब खिलौने अपने है

पिता के कर्जदार है हम

संतान सुख के फर्जदार हम

रचयिता: विजय पांचाल पुत्र श्री हंसराज पांचाल

देलून्दा बूँदी

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