हरिद्वार:  गुरुकुल कागड़ी विश्वविद्यालय में वेद-विज्ञान,संस्कृति महाकुम्भ में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि वेद भारत की सांस्कृतिक धरोहर हैं और वेदों के ज्ञान को आम जनमानस तक ले जाना होगा। गुरुकुल की पुण्य भूमि इस कार्य के लिए उपयुक्त है।

ये बातें बतौर अतिथि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को त्रिदिवसीय महाकुम्भ और अंतरराष्ट्रीय शोध संगोष्ठी के उद्घाटन अवसर पर विश्वविद्यालय में आयोजित समारोह में कहीं।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि संस्कृति विरोधी ताकतों पर प्रतिघात होना चाहिए। भारत की गौरवशाली संस्कृति है और इसके वैभव से समस्त विश्व परिचित रहा है। उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय दर्शन और वैदिक ज्ञान का पुरातन और प्रतिष्ठित केंद्र रहा है। उन्हें पूरा विश्वास है कि इस महाकुम्भ के मंथन की गूंज देश के सभी विश्वविद्यालयों तक जाएगी।

विशिष्ट अतिथि और उत्तराखंड के राज्यपाल ले. ज. गुरमीत सिंह ने कहा कि वेदों से हमें आत्म ज्ञान मिलता है और युवा शक्ति को आत्म मूल्य को समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय शिक्षा पद्धति और वैदिक ज्ञान-विज्ञान ने चरित्र निर्माण का कार्य किया है।

वर्तमान में वैदिक ज्ञान को आधुनिक ज्ञान और तकनीकी के साथ समेकित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि संत, सैनिक,सिख और शिक्षक एक की श्रेणी के होते हैं जो राष्ट्र के उन्नयन में अपना योगदान देते हैं।

अति विशिष्ट अतिथि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय राष्ट्र की धरोहर है। इसने राष्ट्रसेवी नागरिक देश को समर्पित किए हैं।

उन्होंने कहा कि देश को विश्व गुरु बनाने के लिए हमें वेदों की ओर लौटना होगा। इस उद्देश्य की दिशा में यह महाकुम्भ वेदों के ज्ञान को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य करेगा। उन्होंने उपस्थित छात्र-छात्राओं से आह्वान किया कि भारतीय संस्कृति और राष्ट्र उन्नयन के लिए मिल-जुलकर कार्य करें।

वेद विज्ञान संस्कृति महाकुम्भ के मुख्य संरक्षक और बागपत सांसद डॉ. सत्यपाल सिंह ने कहा कि स्वामी श्रद्धानन्द स्वराज और संस्कृति के लिए लड़े। विज्ञान विषयों को हिन्दी में पढ़ाने के कार्य भी गुरुकुल ने ही किया था।

उन्होंने कहा कि स्वामी दयानन्द की 200वीं जयंती वर्ष को राष्ट्र स्तर पर मनाने का उल्लेखनीय कार्य प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में हुआ है। इसके लिए राष्ट्र उनके प्रति आभारी है। उन्होंने कहा कि गुरुकुल एक तीर्थ भूमि है, जिसने आजादी के आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। नारी शिक्षा के लिए स्वामी श्रद्धानन्द के अथक प्रयासों के प्रति हमें कृतज्ञ होना चाहिए।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमदेव शतांशु ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के सम्मान में अभिनंदन पत्र का संस्कृत में वाचन किया। समस्त अतिथियों का प्रतीक चिन्ह एवं पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अजय मलिक ने किया।

इस अवसर पर कुलसचिव प्रो. सुनील कुमार, मुख्य संयोजक प्रो. प्रभात कुमार, वित्ताधिकारी प्रो. देवेन्द्र गुप्ता, प्रो. देवेन्द्र सिंह मलिक, डॉ. एलपी पुरोहित डॉ. गगन माटा,उत्तराखंड संस्कृत विवि कुलपति प्रो. दिनेश शास्त्री, प्रो. ईश्वर भारद्वाज, डॉ. हिमांशु पंडित, डॉ. अजित तोमर, डॉ. पंकज कौशिक, कुलभूषण शर्मा, हेमंत नेगी सहित शहर के गणमान्य संत, सन्यासी और राजनेता उपस्थित रहे।

नवनिर्मित संसद भवन देखने के लिए छात्र-छात्राओं को आमंत्रित कर गए उपराष्ट्रपति

वेद विज्ञान संस्कृति महाकुम्भ के अवसर पर मुख्य अतिथि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं को नव निर्मित संसद भवन को देखने के लिए राजधानी में आमंत्रित किया।

उन्होंने कहा कि आप मेरे अतिथि होंगे। नए संसद भवन को देखकर आपको देश में हो रहे बड़े बदलावों के बारे में पता चलेगा। उपराष्ट्रपति ने लोकसभा की थीम मोर और राज्यसभा की थीम कमल को देखने के लिए छात्र-छात्राओं को वेद विज्ञान संस्कृति महाकुम्भ के मंच से दिल्ली आने का आमंत्रण दिया।

पांच प्रण दिलाएं याद

वेद विज्ञान संस्कृति महाकुम्भ के अवसर पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, उत्तराखंड के राज्यपाल ले.ज. गुरमीत सिंह सेनि और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लाल किले की प्राचीर से जो पांच प्रण लेने का आह्वान किया था, उसकी याद दिलायी।

इन वक्ताओं ने कहा विकसित भारत, गुलामी की सोच से मुक्ति, विरासत पर गर्व, एकता और एकजुटता और नागरिक कर्तव्य को पुन: याद दिलाते हुए कहा कि 2047 में विकसित भारत बनाने और विश्व गुरु की पदवी पर पुनः स्थापित होने के लिए हमें इन पांच प्रतिज्ञाओं को अपने दैनिक जीवन व्यवहार में उतारना होगा।

वेद विज्ञान संस्कृति महाकुम्भ के अवसर पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने जी-20, नए कानून, योग दिवस और महिला आरक्षण पर सरकार की पीठ थपथपाते हुए कहा कि देश उत्तरोत्तर प्रगति के पथ पर बड़ी द्रुत गति से आगे बढ़ रहा है।

उन्होंने देश के नेतृत्व की प्रशंसा करते हुए कहा कि 2047 में भारत को विकसित देश बनने से कोई नहीं रोक सकता है इस दशक के अंत तक हम विश्व की तीन प्रमुख अर्थव्यवस्था बनने जा रहे हैं।