हरिद्वार, 22 जुलाई 2025 : श्री सनातन ज्ञान पीठ शिव मंदिर सेक्टर 1 समिति द्वारा आयोजित श्री शिव महापुराण कथा के बारहवे दिवस की कथा के दौरान परम पूज्य उमेश चंद्र शास्त्री जी महाराज जी ने सावन मास का महत्व और कावड़ यात्रा का महत्व बताया।
महाराज श्री जी ने बताया की इस वर्ष श्रावण मास 11 जुलाई को शरू होकर 09 अगस्त को समाप्त हो रहा है।इस माह में अनेक महत्त्वपूर्ण त्योहार मनाये जाते है जिसमें ‘हरियाली तीज’, ‘रक्षाबन्धन’, ‘नागपंचमी’ आदि प्रमुख हैं।श्रावण’ यानी सावन माह में भगवान शिव की अराधना का विशेष महत्त्व है सभी स्त्रियां भगवान शिव के निमित्त व्रत आदि रखती हैं । महाराज श्री जी ने कथाओं के माध्यम से ये बताया की शिव को सावन का मास क्यो प्रिय है।सावन मास में माता पार्वती जी ने शिव प्राप्ति हेतु घोर जप-तप कर शिव को प्राप्त किया था।
सावन मास मे ही मरकंडू ऋषि के पुत्र मारकण्डेय ने लंबी आयु के लिए घोर तप कर शिव की कृपा प्राप्त की थी, जिससे मिली मंत्र शक्तियों के सामने मृत्यु के देवता यमराज भी नतमस्तक हो गए थे।
भगवान शिव को सावन का महीना प्रिय होने का अन्य कारण यह भी है कि भगवान शिव सावन के महीने में पृथ्वी पर अवतरित होकर अपनी ससुराल आते हैऔर वहां उनका स्वागत अर्घ्य और जलाभिषेक से किया जाता है।
महाराज श्री ने बताया की भू-लोक वासियों के लिए शिव कृपा पाने का यह उत्तम समय होता है।इसी सावन मास में समुद्र मंथन किया गया था। समुद्र मथने के बाद जो हलाहल विष निकला, उसे भगवान शंकर ने कंठ में समाहित कर सृष्टि की रक्षा की; लेकिन विषपान से महादेव का कंठ नीलवर्ण हो गया।इसी से उनका नाम’ नीलकंठ महादेव’ पड़ा। विष के प्रभाव को कम करने के लिए सभी देवी-
देवताओं ने उन्हें जल अर्पित किया। इसलिए शिवलिंग पर जल चढ़ाने का ख़ास महत्व है। यही वजह है कि श्रावण मास में भोले को जल चढ़ाने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। भगवान शिव स्वयं ही जल हैं। इसलिए जल से उनकी अभिषेक के रूप में अराधना का उत्तमोत्तम फल प्राप्त होता है, जिसमें कोई संशय नहीं है।महाराज श्री जी ने बताया की
शास्त्रों के अनुसार सावन महीने में भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं। इसलिए ये समय भक्तों, साधु-संतों सभी के लिए अमूल्य होता है।तत्पश्चात सृष्टि के संचालन का उत्तरदायित्व भगवान शिव ग्रहण कर लेते है। इसलिए सावन मास के प्रधान देवता भगवान शिव जी ही है।
महाराज श्री जी ने कथा के अंत मे कावड़ महिमा का उल्लेख करते हुए कहा कि कावड़ यात्रा हमारे देश के सभी श्रद्धालुओं द्वारा भगवान शिव के प्रति अगाध प्रेम को दर्शाती है ।
सभी शिव भगत कांवरियों को ससम्मान प्रणाम निवेदित करते हुए महाराज श्री ने कावड़ महिमा एवं शिव रात्रि महिमा का सुंदर वर्णन किया शिवरात्रि व्रत उद्यापन विधि का वर्णन करते हुए महाराज श्री ने कहा पूर्ण आस्था एवं प्रेम से क्या हुआ व्रत ही सार्थक है भगवान शिव को अहंकार युक्त पूजन सामग्री इत्यादि बिल्कुल भी स्वीकार नहीं एवं प्रेम से दिया हुआ एक पल का पात्र भी भगवान स्वीकार कर लेते हैं।
कथा मे मंदिर सचिव ब्रिजेश शर्मा और कथा के मुख्य यजमान प्रभात गुप्ता और उनकी धर्मपत्नी रेनू गुप्ता, जय प्रकाश, राकेश मालवीय, दिलीप गुप्ता,तेज प्रकाश,अनिल चौहान, सुनील चौहान, मानदाता, मोहित तिवारी, कुलदीप कुमार, अवधेशपाल, रामललित गुप्ता, आदित्य गहलोत,धर्मपाल,अंकित गुप्ता,दिनेश उपाध्याय,हरेंद्र मौर्य,होशियार, संजीवभारद्वाज,विष्णु समाधिया, मधुसूदन,अलका शर्मा, संतोष चौहान, पुष्पा गुप्ता,सरला शर्मा विभा गौतम, अनपूर्णा, राजकिशोरी मिश्रा, सलोनी, दीपिका, भावना गहलोत, मिनाक्षी, कौशल्या, तनु चौहान, सुमन समाधिया,नीतू गुप्ता,कुसुम गैरा,मनसा मिश्रा, सुनीता चौहान,पायल,रेनू,बबिता,कृष्णा चौधरी सहित अनेको श्रोता गण कथा मे सम्मिलित हुए।