कथा साहित्य के युग ऋषि प्रेमचंद को शत शत नमन…..
मुंशी प्रेमचंद जयंती 31 जुलाई: ”शब्द चित्र” रचना देवेंद्र कुमार सक्सेना संगीत, समाज, संस्कृति, योग व हिंदी सेवी तबला वादक राजकीय कला कन्या महाविद्यालय कोटा द्वारा साहित्य सम्राट प्रेमचंद जयंती पर रचित है..
शब्द चित्र
ऋषि प्रेमचंद युग.. राष्ट्रीय आंदोलन और नव जागरण का युग…
अस्पृश्यता, अंध परम्पराओं पुरानी मान्यताओं के परित्याग का युग..
हिंदी कथा साहित्य में नवीन आदर्शों की स्थापना एवं नारी जागरण का युग….
जिंहोने चिर उपेक्षितों को… शिक्षितों, समर्थो के आकर्षण का केंद्र बनाया…..
उन्होेंने गोदान, कर्मभूमि, प्रेमाश्रम का सृजन कर उतारी किसानों की समग्र पीड़ा और किसानों के शोषण का अंत करने की देश में प्रेरणा जगाई ..
वे थे सच्चे बौद्धिक सृजन- शिल्पी, मनोवैज्ञानिक लोक शिक्षक…….. उन्होंने कथा साहित्य की बहाई निर्मल धारा…
प्रेमचंद ने युगांतर को उपस्थित किया.. युग परिवर्तन का बिगुल बजाया..
चित्रगुप्त वंशजों के गौरव.. मातृभाषा राष्ट्र भाषा हिंदी के सृजन सपूत..
साहित्य रत्न, समाज रत्न, सच्चे भारत के रत्न हैं…
सेवा सदन, वरदान, रंग भूमि, कायाकल्प, निर्मला, प्रतिज्ञा, गबन, कर्मभूमि, गोदान आदि उपन्यासों
जैसे अनमोल साहित्य के सृजन- शिल्पी..
पंच परमेश्वर, ईदगाह, सौत, पूस की रात, मंत्र, बूढ़ी काकी जैसे मार्मिक
कथा साहित्य के सृजेता युग ऋषि को शत शत नमन..
शत शत नमन…
लेखक
देवेंद्र कुमार सक्सेना