सुनीति त्यागी की कविता: आज भी तुम हो

 

कोई कोना कोई जगह, नहीं है ऐसी

जहां तुम नहीं हो l

बिछड़ गए हो मुझसे तुम, फिर भी

आज भी, इस शहर में मौजूद तुम हो।

रहती नहीं कोई भी रह गुजर, तुम्हारे बिन

फिर भी जो भी तस्वीर बनाती हूं,

उस तस्वीर का हर रंग तुम हो।

दिल नहीं मानता है, तुम्हें लिखने का

पर कलम से निकली हर पंक्ति का लब्ज़ तुम हो।

इस जन्म में तो तुम्हें, माफ नहीं कर सकते

पर अगले जन्म की हर दुआ में तुम हो।

कहानी खत्म हो गई है  फिर भी

पर, मेरी हर कहानी की शुरुआत तुम हो।

आदि तुम, अंत तुम, सर्वस्व तुम,

इस आकाश का क्षितिज तुम हो।

आज भी तुम हो, तुम हो, तुम हो, हाँ तुम ही तो हो……..

सुनीति त्यागी आप एचईसी कालेज हरिद्वार में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं।

poem written by Suniti Tyagi , Asst. profesor HEC college Haridwar