आज दिनांक 25 अप्रैल 2024 को पंडित ललित मोहन शर्मा श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय परिसर, ऋषिकेश के मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी विभाग में जिनोमिक्स, प्रोटियोमिक्स और सूक्ष्म जीव विज्ञान तथा रिकंबाइनेंट डीएनए टेक्नोलॉजी में नवाचार और अनुप्रयोग विषय में दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन डीएनए लैब, देहरादून के सहयोग से किया जा रहा है
कार्यशाला के उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि सीमा डेंटल कॉलेज के प्राचार्य डॉ पी. नारायण प्रसाद ने संपूर्ण मानव जीनोम अनुक्रमण के द्वारा किसी भी बीमारी के निदान के लिए उपयोगिता पर प्रकाश डाला व उन्होंने सीमा डेंटल कॉलेज व श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के मध्य MOU हेतु अनुसन्धान व विकास प्रकोष्ठ के निदेशक प्रो गुलशन कुमार ढींगरा से आग्रह किया
कार्यशाला में विशिष्ठ आतिथि कला संकायाध्यक्ष प्रो डी सी गोस्वामी ने दो दिवसीय कार्यशाला के आयोजन पर सभी आयोजकों को शुभकामनाएं दी तथा प्रतिभागियों को इस प्रकार की आयोजनों द्वारा सीखने की क्षमता के विकास पर जोर दिया
इस अवसर पर कार्यशाला आयोजन सचिव व विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो गुलशन कुमार ढींगरा ने कार्यशाला की रूपरेखा तथा इसके उदेश्य के बारे में विस्तार से बताया, उन्होंने सीमा डेंटल कॉलेज के प्राचार्य डॉ पी नारायण प्रसाद का विशेष आभार व्यक्त किया।
साथ ही उन्होंने आज के मुख्य वक्ता दून मेडिकल कॉलेज के डॉ शलभ जौहरी व राजकीय स्नातकोतर महाविद्यालय नागनाथ पोखरी के डॉ अभय श्रीवास्तव व श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय परिसर, ऋषिकेश के कला संकायाध्यक्ष प्रो डीसी गोस्वामी तथा डीएनए लैब, देहरादून के बैज्ञानिक व हेड रिसर्च डॉ नरोतम शर्मा व उनकी टीम व परिसर की फैकेल्टी तथा विभिन्न महाविद्यालय, विश्वविद्यालय से आए प्रतिभागियों का कार्यशाला में स्वागत कियाा।
उन्होंने कहा कि डीएनए लैब के साथ श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के हुए MOU के बाद यह पहला कार्यक्रम आयोजित हो रहा है जिससे परिसर में अनुसंथान की गतिविधि को प्रवाह मिलेगा।
इस अवसर पर कार्यशाला के सह-आयोजन सचिव डीएनए लैब, देहरादून के बैज्ञानिक व हेड डॉ नरोतम शर्मा ने कार्यशाला आयोजन का उदेश्य बताया कि वर्तमान युग में बिना अनुसंधान व अनुशासन के बीमारियों का निदान संभव नहीं है इसलिए चिकित्सा जगत से जुड़े छात्रों के लिए इस प्रकार की कार्यशाला महत्वपूर्ण हो जाती है।
कार्यशाला का शुभारम्भ अतिथियों के दीप प्रज्वलन व सरस्वती वंदना, स्वागत गान व सभी अथिथियो को पुष्प गुच्छ व स्मृति चिह्न भेंट के साथ हुआ।
इस अवसर पर श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो एन के जोशी व ऋषिकेश परिसर के निदेशक प्रो महावीर सिंह रावत ने आभासी माध्यम से कार्यशाला के सफल आयोजन के लिए प्रो गुलशन कुमार ढींगरा तथा डीएनए लैब्स के डॉ नरोत्तम शर्मा को शुभकामनाएं प्रेषित की।
कार्यशाला के तकनीकी सत्र में प्रथम वक्ता राजकीय दून मेडिकल कॉलेज देहरादून के प्रोफेसर डॉ शलभ जौहरी ने फ्लो साइटोमेट्री विषय पर व्याख्यान दिया उन्होंने बताया कि फ्लो साइटोमेट्री एक शक्तिशाली उपकरण है जिसका इम्यूनोलॉजी, वायरोलॉजी, आणविक जीवविज्ञान, कैंसर जीवविज्ञान और संक्रामक रोग निगरानी जैसे कई विषयों में अनुप्रयोग होता है।
उदाहरण के लिए, यह प्रतिरक्षा प्रणाली के अध्ययन और संक्रामक रोगों और कैंसर के प्रति इसकी प्रतिक्रिया के लिए बहुत प्रभावी है। जिसके अंतर्गत उन्होंने संक्रमित कोशिकाओं को मापने तथा प्रयोगशाला में इसके नमूने के भौतिक एवं रासायनिक जांच करने की तकनीक के बारे में प्रतिभागियों को बताया।
उसके बाद डॉ जौहरी ने बताया कि माइक्रोबायोलॉजी एक ऐसा क्षेत्र है जिसको हम सभी को जानने और समझने की जरूरत है सूक्ष्मजीवों तथा सूक्ष्म जीव विज्ञान का निदान तकनीक में महत्वपूर्ण स्थान है।
दूसरे व्याख्यान में डीएनए लैब्स के बैज्ञानिक डॉ नरोत्तम शर्मा ने आणविक जीव विज्ञान कार्य के लिए अभिक्रमको, रासायनिक तैयारी और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी प्रतिभागियों को दी इसके अलावा उन्होंने आणविक लक्षण वर्णन विश्लेषण के लिए न्यूक्लिक एसिड की भूमिका उसका संग्रह परिवहन और भंडारण कैसे किया जाता है के बारे में विस्तार से प्रतिभागियों को बताया।
कार्यशाला के प्रशिक्षण सत्र में डीएनए लैब्स की डॉ अंकिता सिंह तथा श्री शशि भूषण ने क्लीनिकल तथा प्लांट सैंपल से न्यूक्लिक एसिड को पृथक करने की विधि सिलिका कालम तथा मैग्नेटिक बेड विधि द्वारा बतायी।
कार्यशाला के तृतीय सत्र में डॉ नरोत्तम शर्मा ने वेस्टर्न ब्लाटिंग, एसडीएस पेज 2D जैल इलेक्ट्रोफॉरेसिस का जैव अभियांत्रिकी तथा कृषि विज्ञान में आनुवांशिक बिमारियों के कारको की पहचान व अनुप्रयोगों की जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रोफोरेसिस एक वैज्ञानिक प्रयोगशाला तकनीक है जिसका उपयोग डीएनए, आरएनए या प्रोटीन अणुओं को उनके आकार और विद्युत आवेश के आधार पर अलग करने के लिए किया जाता है। अणुओं को स्थानांतरित करने के लिए उनमें विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है ताकि उन्हें एक जेल के माध्यम से अलग किया जा सके।
कार्यशाला में विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक प्रोफेसर वी पी श्रीवास्तव ने पोस्टर एवं ओरल प्रस्तुतीकरण हेतु निर्णायक को डॉ अहमद परवेज, डॉ लिली माधुरी, डॉ अभय श्रीवास्तव को प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया।
अंतिम तकनीकी सत्र में राजकीय स्नातकोतर महाविद्यालय नागनाथ पोखरी के डॉ अभय श्रीवास्तव टैक्सोनोमिक जटिलताओं को सुलझाने में आणविक प्रणाली विज्ञान की भूमिका पर व्याख्यान दिया जिसमे उन्होंने बताया कि आणविक प्रणाली विज्ञान टैक्सोनोमिक जटिलताओं को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
इसके तंत्रों और तकनीकियों का उपयोग करके, आणविक प्रणाली विज्ञानी बिग डेटा और एनालिटिक्स का उपयोग करते हैं ताकि वे विभिन्न डेटा स्रोतों से जानकारी प्राप्त कर सकें और उन्हें समझ सकें। जिससे वे अधिक विश्वसनीय और दृश्यमान निर्णय ले सकते हैं। इसके अलावा, आणविक प्रणाली विज्ञान विभिन्न आवश्यक तकनीकों का उपयोग करता है ।
कार्यशाला के प्रथम दिवस के अंत में सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए जिसमे परिसर के एमएलटी के छात्राओं तथा डीएनए लैब की ओर से रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए।
इस मौके पर विभिन्न संस्थाओं के 140 प्रतिभागी एवं परिसर के संकाय सदस्यों द्वारा प्रतिभाग किया गया।