राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय मालदेवता रायपुर में आज भारत उस सबसे गौरवण भी क्षण के जीवंत दृश्य का अवलोकन किया गया जिसकी सफलता के बाद भारत ने विश्व में आज एक अपना अलग स्थान बनाया है।

इस अवसर पर महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफेसर वंदना शर्मा ने कहा कि चंद्रयान-3 का चांद की धरती पर सफलतापूर्वक उतरना पूरे विश्व में भारतीय वैज्ञानिकों एवं अनुसंधानकर्ताओं की बहुत बड़ी विजय है।

उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे भारतीय समाज और युवा वैज्ञानिक प्रगति की ओर अग्रसर हैं विश्व उनकी क्षमता और सामर्थ्य के सामने नतमस्तक है।

उन्होंने बताया कि भारत एक युवा देश है परंतु विश्व की सबसे प्राचीनतम संस्कृति भी है और भारत की इसी क्षमता के कारण भारत विश्व गुरु के रूप में प्रतिष्ठित है।

प्रोफ़ेसर शर्मा ने कहा कि हमारे देश के छात्राओं को भारत की इस अद्वितीय प्रगति से प्रेरणा लेनी चाहिए तथा अपने जीवन को किसी वैज्ञानिक प्रगति और राष्ट्र के लिए समर्पित करने का संकल्प लेना चाहिए।

इस अवसर पर महाविद्यालय के अध्यापकों को शुभकामना प्रदान करते हुए कहा कि प्रेरणा में वह शक्ति है जिससे हमें कार्य करने की शक्ति मिलती है। हमारे बीच में जिन वैज्ञानिकों ने अध्ययन अध्यापन कर विश्व में नया कीर्तिमान स्थापित किया है निश्चित रूप से उन वैज्ञानिकों के जीवन और दर्शन और कृतित्व से हमें छात्राओं को प्रेरणा देनी होगी। इस अवसर पर अवसर पर महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉक्टर दयाधर दीक्षित ने बताया कि चंद्रयान का -3 का सफलतापूर्वक चांद पर उतरना अपने आप में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि तो है ही साथ में चंद्रयान-3 का चंद्रयान-2 से जुड़ जाना यह अभूतपूर्व उपलब्धि है।

उन्होंने बताया कि यह पुनःप्रमाणित करता है कि भारतीय वैज्ञानिकों का चंद्रयान-2 को चांद पर भेजना असफल नहीं रहा और वह आज भी जीवित है तथा अपना कार्य भली भांति कर रहा है |डॉ दीक्षित ने कहा कि चंद्रयान-2 न सिर्फ संदेश और चित्र चंद्रयान-3 के माध्यम से पृथ्वी पर भेज रहा है अपितु चंद्रयान-3 के सफल लैंडिंग में भी सहयोग प्रदान कर रहा है। यह अपने आप में एक अद्भुत उपलब्धि है निश्चित रूप से आने वाले समय में युवा इससे प्रेरित होंगे और अपने जीवन को वैज्ञानिक दृष्टिकोण प्रदान करेंगेे।

डॉ दीक्षित ने कहा कि भारत सरकार छात्र-छात्राओं को शोध और वैज्ञानिकता की तरह प्रेरित करने के लिए इंस्पायर क्षात्रवृत्ति प्रवृत्ति प्रदान करती है जिससे छात्र-छात्राओं का रुझान वैज्ञानिक अनुसंधानों की ओर बढे ।

उन्होंने बताया कि हाल ही में उत्तराखण्ड सरकार ने होनहार क्षात्रों को अलग से क्षात्रवृत्ति प्रदान करने का निर्णय लिया है जो अत्यन्त सराहनीय है।

इस अवसर पर डॉ ज्योती खरे, प्रो अनीता चौहान, प्रो० सुरेश नौटियाल, डॉ सुनीता नौटियाल, डॉ कविता काला, डॉ सुमन सिंह गुसाईं, सतपाल सिंह , गुंजन , बसंत कुमार , सहित अनेक प्राध्यापक तथा कर्मचारी उपस्थित थे।

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