हिमाचल को आखिरकार सियासी रस्साकसी और खींचतान के बाद नया सीएम मिल ही गया। इस सीएम चेहरे को बनाने में और विधायकों को रोककर रखने में हिमाचल के लिए बनाए गए सीनियर पर्यवेक्षक ने अहम रोल निभाया है।

ये सीनियर पर्यवेक्षक कोई और नहीं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हैं, जिन्होंने 40 विधायकों को रोककर और समझाइश देकर एक नए मुखिया चयनित कराने में मुख्य किरदार निभाया।

हिमाचल में कांग्रेस में बिगड़ते हालातों के मद्देनजर खरीद-फरोख्त का भी डर था, इसको लेकर सीएम भूपेश बघेल ने पहले ही बयान दिया था कि बीजेपी कुछ भी कर सकती है। सीएम भूपेश बघेल पर्यवेक्षक के नाते सरकार बनाने के लिए पिछले 36 घंटे से हिमाचल में डटे हुए हैं।

कहां गायब हो गए थे 18 विधायक ?

हिमाचल में चुनावी नतीजों के बाद सीएम पद को लेकर खूब सियासी हंगामा मचा । इसी बीच सुखविंदर सिंह सुक्खू और उनके 18 समर्थकों के गायब होने की खबर थी। वहीं प्रतिभा सिंह के समर्थकों ने भी शिमला खूब हंगामा किया। 40 विधायकों को सीएम बघेल और उनकी टीम को संभालना किसी चुनौती से कम नहीं था।

  क्या थी रणनीति? 

ऐसे में आनन फानन में केंद्रीय पर्यवेक्षक भूपेश बघेल ने हिमाचल कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ बैठक कर रणनीति बनाई। इस दौरान उन्होंने पार्टी विधायकों से मुलाकात कर मुख्यमंत्री पद के लिए उनकी राय जानी। कई बार नाम को लेकर खूब बवाल कटा। कई मर्तबा बैठकें रद्द हुईं।

मुख्यमंत्री बनने की हठ

बात प्रतिभा सिंह की हठ की थी।  मुख्यमंत्री पद के लिए प्रतिभा अड़ी रही। इतना ही नहीं उन्होंने 25 विधायकों के समर्थन का दावा भी किया था, लेकिन केंद्रीय पर्यवेक्षक भूपेश बघेल और हिमाचल कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की रणनीति ने फिर मीटिंग बुलाई।

पर्यवेक्षक भूपेश बघेल की मौजदूगी में विधायक दल की बैठक हुई, जिसमें सभी के सहमति से नाम चिन्हित किए गए और फिर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को बंद लिफाफे में नाम भेजा गया, जिसमें उन्होंने शनिवार को मुहर लगाई।

फिर हिमाचल को नए सीएम के रूप में सुखविंदर सिंह सुक्खू और डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री मिले। हिमाचल में कल 11 बजे सीएम पद की सुखविंदर सिंह सुक्खू और डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री शपथ ग्रहण करेंगे।