• अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष

महिला दिवस पर सुनीति त्यागी की कविता: मैं स्त्री होना चाहती हूं

मैं मैं स्त्री होना चाहती हूं
मैं रति की प्रतिकृति लज्जा हूं
मैं शालीनता सब्र सिखाती हूं
क्योंकि मैं एक स्त्री होना चाहती हूं
मतवाली सुंदरता पग में
नुपुर से लिपट मनाती हूं
मन की मरोर बनकर जगती हूं
किर भी चंचल किशोर सुंदरता की करती रखवाली हूं
मैं एक स्त्री होना चाहती हूं
कोमल बाहें फैलाए सीने में आलिंगन का
जगाती हूं
आंखों में पानी भरे हुए हैं
किर भी नीरव निशीथ मैं लतिका सी लहराती हूं
मैं स्त्री होना चाहती हूं
संध्या की लाली सी मैं हंसती हूं
श्रद्धा की प्रतिमा बनकर गुनगुनाती हूं
क्योंकि मैं भी एक स्त्री होना चाहती हूं

सुनीति त्यागी आप एचईसी कालेज हरिद्वार में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं।

poem written by Suniti Tyagi , Asst. profesor HEC college Haridwar