एकलव्य विश्वविद्यालय दमोह म. प्र. के योग विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ.अनूप कुमार मिश्र का एकात्मक पर्व शंकराचार्य पर विशिष्ट व्याख्यान हुआ एवं शंकराचार्यजी का जीवन परिचय दिया |
डॉ.अनूप ने कहा कि वेदों की परंपरा की रक्षा करना यह मूलभूत सिद्धांत हमारे हैं और वेदों की रक्षा के लिए स्वाध्यायान्मा प्रमद: के आधार पर प्रतिदिन स्वाध्याय होना चाहिए प्रत्येक मठ मंदिर में वेदों की रक्षा के लिए वेदों की अलग-अलग शाखाओं का नित्य पारायण होना चाहिए ।
आधुनिक विषय के साथ वेद विषय को भी पढ़ना अनिवार्य हो ,इस पर आपका विस्तृत विवेचन हुआ | कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वेदांताचार्य श्री भगवान रसिक महाराज जी ने वसुधैव कुटुंबकम के आधार पर यह स्पष्ट कर दिया कि वसुधा पर जितने लोग रहते हैं ,पूरा परिवार है इस परिवार का मुखिया कौन ? इस परिवार का मुखिया सनातन प्रेमी सनातन धर्म और हिंदू ही परिवार का मुखिया है।
यदि हमारे परिवार में अतिथि बनकर कोई आता है , तो उसका स्वागत है, लेकिन यदि अपना आधिपत्य मानता है तो यह हमारे शास्त्र विरुद्ध है और शास्त्र अनुकूल फिर हमें आचरण करना पड़ता है ।
सभी के लिए ज्ञान आवश्यक है ,ज्ञान होने से जीवन में जो जीव शब्द है वह जीव सुख पूर्वक जीवन यापन इस संसार में करता है शंकराचार्य आत्मानंद जी ने सभी को शुभाशीष प्रदान किया एवं सत्य आचरण करने की प्रेरणा दी ।
वेदों की रक्षा के लिए सबको आगे आना चाहिए और सभी का सम्मान होना चाहिए।
वेदों की रक्षा ही हमारा मूल सिद्धांत है आचार्य शंकराचार्य जी ने सभी को शुभ आशीष प्रदान किया।
संकट मोचन के पुजारी जी एवं सभी ग्राम वासियों ने आदि शंकराचार्य के एकात्म पर्व पर शंकराचार्य के जीवन एवं सिद्धांतों को अपने जीवन में आत्मसात करने की करने का दृढ़ संकल्प लिया डॉ अनूप कुमार मिश्र के सम्मान पर एकलव्य विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर पवन कुमार जैन संकाय प्रमुख प्रोफ़ेसर उषा खंडेलवाल ने बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं दी ।