राजकीय महाविद्यालय हल्द्वानी शहर गोलापार में राष्ट्रीय सेवा बाल दिवस और जनजातीय गौरव दिवस का आयोजन कर भगवान बिरसा मुंडा की जयंती मनाई गई।

इस अवसर पर कार्यक्रम अधिकारी द्वारा जनजातिय अधिकारों की आवाज उठाने वाले महान क्रांतिकारी बिरसा मुंडा के भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में कृतित्व व व्यक्तिव पर प्रकाश डाला गया गया भारत के आदिवासी जनजीवन के मूल अधिकारों को बनाये रखने के लिए शस्त्र उठाये ।

इस अवसर पर एक विचार संगोष्ठी का आयोजन किया जिसमे छात्र अमन ने एतिहासिक जनजातीय आंदोलन के कारणों पर प्रकाश डाला जिसमे 19वीं शताब्दी के अंत में अंग्रेजों ने कुटिल नीति अपनाकर आदिवासियों को लगातार जल-जंगल-जमीन और उनके प्राकृतिक संसाधनों से बेदखल करने लगे।

हालाँकि आदिवासी विद्रोह करते थें, लेकिन संख्या बल में कम होने एवं आधुनिक हथियारों की अनुपलब्धता के कारण उनके विद्रोह को कुछ ही दिनों में दबा दिया जाता था। यह सब देखकर बिरसा मुंडा विचलित हो गए, और अंततः 1895 में अंग्रेजों की लागू की गयी जमींदारी प्रथा और राजस्व-व्यवस्था के ख़िलाफ़ लड़ाई के साथ-साथ जंगल-जमीन की लड़ाई छेड़ दी। यह मात्र विद्रोह नहीं था। यह आदिवासी अस्मिता, स्वायतत्ता और संस्कृति को बचाने के लिए संग्राम था।

डॉ गौरव जोशी द्वारा आज के समाज में जनजातीय अधिकारों के संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया कहा कि आज की पीढ़ी को भी आगे आके बिरसा मुंडा के दिखाए रास्ते में चलना चाहिए। पर्यावरण संरक्षण , नारी अस्मिता ,अस्तित्व की लड़ाई ,अपने स्वयं से करते हुए अन्य को भी जागरुक करना चाहिए।

कार्यक्रम का संचालन डॉ0 अर्चना जोशी ने किया। इस अवसर पर डॉ किरण जोशी (सहायक प्रध्यापक )ललिता गीता मिताली उर्मिला आदि छात्रा उपस्थित रहे।




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