- भ्रामक खबर फैलाने के चलते हुआ मुकदमा दर्ज
- युवक, उसके साथियों व न्यूज पोर्टल के विरुद्ध मुकदमा दर्ज
उत्तराखंड: नकल माफियाओं पर नकेल कसने व भर्ती परीक्षाओं में धांधली रोकने के उद्देश्य से लागू किये गए नकल विरोधी कानून के तहत प्रदेश में पहला मामला रविवार को उत्तरकाशी कोतवाली में दर्ज किया गया है।
उत्तराखंड में ‘नकल विरोधी कानून’ बनने के बाद पहला मुकदमा दर्ज हुआ है । पटवारी परीक्षा लीक होने की अफवाह फैलाने को लेकर यह कार्रवाई की गई है। आरोप है कि उत्तरकाशी में सोशल मीडिया पर पटवारी परीक्षा लीक होने की अफवाह फैलाई गई थी। इसी को लेकर अरुण कुमार नाम के युवक व अन्य अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।
यहां लेखपाल, पटवारी (राजस्व उपनिरीक्षक) भर्ती परीक्षा के दौरान बड़कोट तहसील निवासी एक युवक, उसके साथियों व न्यूज पोर्टल के विरुद्ध पेपर लीक सम्बन्धी भ्रामक वीडियो वायरल करने के मामले में मुकदमा दर्ज किया गया है।
पुलिस से प्राप्त जानकारी के अनुसार रविवार को आयोजित पटवारी, लेखपाल परीक्षा के दौरान बड़कोट निवासी अरुण कुमार एवं अन्य साथियों एवं कुछ न्यूज पोर्टल द्वारा राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज लदाड़ी उत्तरकाशी में प्रश्न पत्र संबंधी भ्रामक विडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित गया।
उक्त प्रकरण में परीक्षा के दौरान इस मामले की जानकारी मिलते ही संबंधित कक्ष निरीक्षक एवम अन्य अधिकारियों, आयोग प्रतिनिधियों द्वारा उक्त छात्र के संदेह को दूर किया गया, जिस पर छात्र ने संतुष्टि प्रकट की थी। तत्पश्चात स्थिति स्पष्ट करने के लिए एवं वीडियोग्राफी आदि चैक करने को लेकर उपजिलाधिकारी भटवाडी चतर सिंह चौहान द्वारा भी छात्र से संपर्क किया गया, परंतु बार-बार संपर्क करने के बाद भी उक्त छात्र उपस्थित नहीं हुआ, जिससे स्पष्ट है कि उक्त छात्र, उसके साथियों एवं संबंधित न्यूज पोर्टल ने यह कृत्य दुर्भावना से ग्रासित होकर किया है।
उक्त मामले में परीक्षा केन्द्र व्यवस्थापक, प्रभारी प्रधानाचार्य, राजकीय पॉलटेक्निक लदाडी उत्तरकाशी की तहरीर पर परीक्षार्थी अरुण, उसके साथियों व कुछ न्यूज पोर्टल के खिलाफ कोतवाली उत्तरकाशी में उत्तराखण्ड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों का निवारण व रोकथाम के उपाय) अध्यादेश 2023 के अन्तर्गत मुकद्मा पंजीकृत किया गया है।
पुलिस ने बताया कि कुछ लोगों द्वारा उक्त प्रकरण से सम्बंधित वीडियो को सोशल मीडिया पर प्रसारित किया गया है, जो कि पूर्णतय गलत है।
इधर युवक के विरुद्ध मुकदमा दर्ज होने से बेरोजगार युवकों व अभिभावकों में रोष व्याप्त है। जब उक्त युवक ने लिखित रूप से पेपर की सील टूटी हुई होने की जानकारी दी गई थी तो उसके बाद मुकदमा दर्ज करने का कोई औचित्य नहीं है। केंद्र व्यवस्थापक व पुलिस ने दबाव के चलते यह मुकदमा दर्ज किया है।