डा. उषा खण्डेलवाल , विभागाध्यक्ष दर्शनशास्त्र एवं डीन योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा विभाग,एकलव्य विश्वविद्यालय दमोह को केन्द्रीय अध्यात्म विज्ञान शाला संस्थान , ओंकारेश्वर के शताब्दी महोत्सव में सम्मानित किया गया ।

इस कार्यक्रम में डा. उषा खंडेलवाल ने अपने उद्बोधन का प्रारंभ निम्न गीत से किया – – ” मानव जीवन इस जगती का सर्वोत्तम उपहार, सारे मल विक्षेप हटाकर लो तुम इसे संवार, पथ चौरासी लाख बदलकर राज पंथ यह पाया, पर मानव मन लक्ष्य भूल, रस्ते में ही भरमाया, भूल गया आकर्षक मग में मुझे कहाँ जाना है, कहाँ हमारी मंजिल है उसको कैसे पाना है, कर बैठा इंसान राह के प्रलोभनों से प्यार, सारे मल विक्षेप हटाकर लो तुम इसे संवार, लो तुम इसे संवार, ” — इन पंक्तियों से मानव जीवन की गरिमा समझाई।

इसके साथ ही एकलव्य विश्वविद्यालय दमोह में पढ़ाए जाने वाले विभिन्न पाठ्यक्रमों की जानकारी भी मंच से दी।

इस विश्वविद्यालय की संस्थापिका , कुलाधिपति माननीया डा. सुधा मलैया जी एवं माननीय श्री जयंत मलैया जी के सम्मिलित प्रयासों से एकलव्य विश्वविद्यालय दमोह भारतीय संस्कृति पर आधारित अत्यंत गूढ़ विषयों को पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया गया है। जैसे – दर्शनशास्त्र, पालि प्राकृत, संस्कृत मनोविज्ञान, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, हिंदी, अंग्रेजी, इतिहास, भूगोल, राजनीति शास्त्र, संगीत, नृत्य, साइंस के सभी विषय – वनस्पति शास्त्र, जंतु शास्त्र, भौतिक शास्त्र, रसायनशास्त्र,एम. बी. ए. ,बी.एड. , एग्रीकल्चर, इंजीनियरिंग, पालिटेक्निक, नर्सिंग आदि विभिन्न विषयों को प्रारंभ किया गया है |इसमें देश एवं विदेश के अनेक विद्यार्थी एवं शोधार्थी अध्ययन कर रहे हैं | डा. उषा खंडेलवाल ने एकलव्य विश्वविद्यालय दमोह की सभी फेकल्टी की भी प्रशंसा की तथा सभी को एकलव्य विश्वविद्यालय दमोह आने का आमंत्रण दिया।

अंत में समाज के विभिन्न क्षेत्रों में सेवाकापववर्य करने वाले भाई बहनों को विशिष्ट अतिथियों के द्वारा सम्मानित किया गया | तत्पश्चात संस्थान के संस्थापक भगवान श्री मायानंद चैतन्य जी कृत साहित्य का विशिष्ट अतिथियों के द्वारा लोकार्पण किया गया ।

इस कार्यक्रम को सफल बनाने में अनेक परिजनों का सहयोग है – श्री सत्यनारायणजी खण्डेलवाल एवं श्रीमती उषा जी खंडेलवाल इंदौर, श्री पाटिल जी पूना, श्री पी. सी. शर्मा जी दमोह, श्री राजेन्द्र पाण्डेय जी जबलपुर श्री नरेश कुमार झारिया रायपुर श्री पीताम्बर जी आदि।