“धर्म की आवश्यकता क्यों ” इस विषय पर 13 अक्टूबर 2023 को दर्शन विभाग एकलव्य विश्वविद्यालय, दमोह, मध्य प्रदेश ,में एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

यह राष्ट्रीय संगोष्ठी एकलव्य विश्वविद्यालय की कुलाधिपति प्रोफेसर (डॉक्टर) सुधा मलैया मैडम के संरक्षण में, उपलाधिपति श्रीमती पूजा मलैया एवं श्रीमती रति मलैया के निर्देशन में, एकलव्य विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर (डॉक्टर )पवन कुमार जैन तथा कुल सचिव डॉक्टर प्रफुल्ल शर्मा के अतुलनीय सहयोग से आयोजित की गई।

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कार्यक्रम का प्रारंभ मांँ सरस्वती का पूजन ,दीप प्रज्वलन एवं सरस्वती वंदना के साथ हुआ। सरस्वती वंदना संगीत विभाग की विभाग अध्यक्ष डॉ. स्वाति गौर के स्वर में संपन्न हुआ। तत्पश्चात एकलव्य विश्वविद्यालय की कुलाधिपति प्रोफेसर (डॉ.)सुधा मलैया मेडम ने अपने संदेश में कहा कि धर्म सार्वभौम शक्ति है ,जिसका लक्ष्य “सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संत निरामया ” है।

धर्म से ही दया , करुणा ,प्रेम ,सेवा, उदारता, त्याग , बलिदान, संयम ,आत्म – अनुशासन जैसी दिव्य संवेदनाओं एवं भावनाओं की जागृति होती है और मनुष्य धर्म परायण बनता जाता है।

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एकलव्य विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर (डॉ. )पवन कुमार जैन ने धर्म को नैतिकता से जोड़ते हुए कहा ,जहां धर्म होता है ,वहां नीति , न्याय ,सदाचार एवं निष्ठा के भाव दृष्टिगोचर होते हैं।

धर्म मानव को उन्नति के रास्ते पर चलना सिखाता है | इसलिए धर्म मनुष्य के लिए अति आवश्यक है।

एकलव्य विश्वविद्यालय के कुल सचिव डॉक्टर प्रफुल्ल शर्मा ने कहा कि धर्म संवेदना का उद्गम स्रोत है | धर्म उपदेश नहीं ,वरन् उपचार है, जिससे दिव्य चक्षुओं पर चढ़ी हुई अज्ञान की परत को दूर किया जाता है ।

एकेडमिक डीन एकलव्य विश्वविद्यालय की प्रोफेसर (डॉ.)अर्चना पाठक ने कहा “धर्म मानव को सही रास्ते पर चलना सिखाता है, धर्म मानव जीवन का प्राण है तथा सदाचार एवं कर्त्तव्य पालन की प्रेरणा धर्म की आत्मा है।

” कला एवं मानविकी संकाय प्रमुख डॉ . आर. सी . जैन ने इस कार्यक्रम की सफलता के लिए अपना आशीर्वाद प्रेषित किया।

दर्शनशास्त्र एवं प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग विज्ञान विभाग की संकाय प्रमुख प्रोफेसर (डॉ ) उषा खंडेलवाल ने कहा कि धर्म हमारे दैनिक जीवन में बहुत आवश्यक है। हमारी बुद्धि पर धर्म का अंकुश अनिवार्य है, जब मानवीय चेतना श्रद्धा एवं सु संस्कारिता के रूप में विकसित होती है, तब मनुष्य आदर्शवाद की ओर उन्मुख होता है और इन्हीं सिद्धांतों की प्रेरणा से किया गया कर्म , धर्म कहलाता है।

एकलव्य विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सूर्यनारायण गौतम ने धर्म की आवश्यकता क्यों ? विषय पर अपने विचार व्यक्त किए कि धर्म किसी एक व्यक्ति का नहीं वरन संपूर्ण मानव जाति के कल्याण के लिए होता है | मुख्य अतिथि प्रोफेसर रजनी सिन्हा ने कहा कि धर्म व्यक्ति एवं जगत के बीच संबंध स्थापित करता है।

प्रोफेसर कन्हैया प्रसाद त्रिपाठी ने धर्म और दर्शन को एक दूसरे के पूरक माना कि धर्म के बिना दर्शन संभव नहीं है। प्रोफेसर पवन कुमार खटीक ने कहा कि धर्म सबके कल्याण के लिए होता है।

डॉक्टर देवेंद्र कुमार विश्वकर्मा जबलपुर से उन्होंने धर्म को विश्व कल्याण के लिए आवश्यक माना। छात्र कल्याण विभाग के संकाय प्रमुख डॉक्टर शैलेंद्र कुमार जैन ने धर्म की महत्ता बताते हुए कहा कि धर्म हमें आपस में मिलजुल कर रहना सिखाता है एवं ,धर्म एकता का प्रतीक है।

एकलव्य विश्वविद्यालय संस्कृत विभाग के अध्यक्ष डॉ आशीष कुमार जैन ने धर्म शब्द का अर्थ बड़े ही विस्तृत रूप से समझाया उन्होंने कहा धर्म शब्द की उत्पत्ति धम्म से हुई है वही आगे चलकर धर्म बना। उन्होंने कहा मानव धर्म सबसे बड़ा धर्म है।

दर्शनशास्त्र एकलव्य विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर राहुल वर्मा ने धर्म का सर्वोच्च स्वरूप समझाया और कहा धर्म हमारे जीवन में अत्यंत आवश्यक है।

योग विज्ञान विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर रंजना झा ने सबसे बड़ा धर्म मानव धर्म बताया। हिंदी विभाग एकलव्य विश्वविद्यालय के डॉ. एच. एन. तिवारी ने धर्म की व्याख्या मानव धर्म से की इसके साथ ही डॉक्टर स्वाति गौर ने धर्म का अर्थ मानव धर्म बताया।

एकलव्य विश्वविद्यालय के श्री विवेक शुक्ला ने धर्म को मानव सेवा से समझाया। इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में एकलव्य विश्वविद्यालय केअनेक सदस्य उपस्थित थे , डॉक्टर प्रमिला कुशवाहा डॉ विजय साहू ,डॉक्टर शबनम बी, डॉक्टर सिराज खान, डॉ . दीपक रजक , श्री तपन साहू, डॉ. आरती तिवारी ,डॉक्टर सरिता दोषी, डॉक्टर रूपेंद्र दोषी, डॉ अभिषेक जैन ,श्री जमुना साहू लाइब्रेरी ,विभाग डॉ निधि असाटी – विज्ञान संकाय प्रमुaख, डॉक्टर दुर्गा महोबिया, डॉक्टर मनीषा दीक्षित, प्रोफेसर (डॉ.) जैकोब,डॉक्टर वंदना पांडे , अंजली नेमा, डॉ सुधीर गौतमआदि।

कार्यक्रम का संचालन इस कार्यक्रम के संयोजक एवं दर्शन विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ . अभय कुमार ने किया। धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर (डॉ.) उषा खंडेलवाल ने किया।

उन्होंने कहा इस संपूर्ण कार्यक्रम में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से अनेक सज्जनों ने भाग लिया। यह संपूर्ण रिपोर्ट प्रोफेसर डॉक्टर उषा खंडेलवाल ने प्रदान की।