पंडित ललित मोहन शर्मा परिसर ऋषिकेश के योग विज्ञान विभाग द्वारा दशम अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की अवसर पर बहुत धूमधाम से आयोजित किया गया।
इस अवसर विश्वविद्यालय के मा० कुलपति महोदय प्रो एन के जोशी के निर्देशन में साप्ताहिक निशुल्क शिविर विभाग द्वारा आयोजित किया जा रहा था उसका भी समापन आज के मुख्य अतिथि परिसर के निदेशक प्रो० एम एस रावत के उद्बोधन के साथ संपन्न हुआ।
आज के अभ्यास सत्र में विगत सप्ताह से चले आ रहे समस्त योगाभ्यासों का पुन: अभ्यास किया गया और उसे अभ्यास से न केवल स्वास्थ्य बल्कि आयुष मंत्रालय की इस अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की थी स्वयं के लिए योग समाज के लिए योग की योग की परिपाटी को पूरा किया गया ।
इस अवसर पर परिसर के निदेशक प्रो० एम एस रावत सर ने उपस्थित समस्त प्रतिभागियों का केवल उत्साहवर्द्धन किया अपितु योग की गहरी समझ को विकसित करने के लिए सभी को प्रेरित किया ।
योग के गहरी समझ से तात्पर्य योग को केवल आसन से ना जोड़ा जाए अभी तो आसन से पूर्व शोधन कर्म आसन के पश्चात प्राणायाम पके पश्चात एकाग्रता जिसे योग की परिभाषा में योग के भाषा में ध्यान कहा जाता है उसे और अग्रसर रहने के लिए बताया क्योंकि योग केवल आसन न हो करके संपूर्ण आत्म विधा है जिससे तन मन और आत्मा का समग्र विकास होता है ।
अतः योग को केवल पाठ्यक्रम के रूप में नहीं आते तो व्यवहारिक जीवन में अपने जाने का निर्देश प्रो एम एस रावत द्वारा दिया गया।