नई दिल्ली: लोकसभा में पास होने के बाद दिल्ली सेवा बिल राज्यसभा से भी पास हो गया। इस तरह संसद के दोनों सदनों से ये बिल पास होने से मोदी सरकार फ्रंटफुट पर आ गई वहीं आम आदमी पार्टी को लगा बड़ा झटका।
आज सोमवार को दिल्ली सेवा बिल को राज्यसभा मेे पेश किया जाना था। सोमवार रात के10 बजे राज्यसभा मेे इस बिल पर जोरदार बहस हुई। इसके बाद बिल पर वोटिंग हुई हालांकि वोटिंग मशीन खराब होने के बाद पर्चियों के माध्यम से वोटिंग कराई गई। जिसमे बिल के पक्ष में कुल 131 वोट पड़े जबकि विरोध में 102 वोट पड़े। हालांकि इस बिल को राज्यसभा से पास कराना मोदी सरकार के लिए बेहद मुश्किल था,क्योंकि उसके पास राज्यसभा में बहुमत नहीं था।
केंद्र सरकार की जबरदस्त घेराबंदी व विपक्ष की फूट के चलते आखिरकार मोदी सरकार को इस बिल को दोनों सदनों से पास कराने में सफलता मिली। इससे पूर्व आप पार्टी संयोजक व दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने इस बिल को संसद से पास ना होने देने के लिए पूरा एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था,लेकिन जिस तरह से विपक्ष ने भी इस बिल को पास कराने के लिए अपना समर्थन दिया उससे आने वाले 2024 के आम चुनावों में विपक्षी एकता को जबरदस्त झटका लगा।
दिल्ली सेवा बिल क्या है, क्यों लाया गया :
दिल्ली सेवा बिल से जुड़े जरूरी बिंदु
- इस बिल के पारित होने के बाद दिल्ली में वरिष्ठ अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग को संभालने की जिम्मेदारी उपराज्यपाल को होगी। इतना ही नहीं यह बिल उपराज्यपाल (एलजी) को कई प्रमुख मामलों पर अपने विवेक का प्रयोग करने का अधिकार देता है।
- नौकरशाहों से संबंधित तबादलों, पोस्टिंग और अन्य अनुशासनात्मक मामले केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच विवाद का विषय रहे हैं। यही कारण है कि केंद्र इस बिल को पारित कराना चाहता है।
- एनसीसीएसए में मुख्यमंत्री, दिल्ली के मुख्य सचिव, दिल्ली के प्रधान गृह सचिव शामिल होंगे और यह उपराज्यपाल को अधिकारियों के तबादलों और पोस्टिंग की सिफारिश करेगा।
- यह दोषी अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक मामलों पर उपराज्यपाल एलजी को सिफारिशें भी करेगा।
- यह बिल उपराज्यपाल को एनसीसीएसए द्वारा की गई सिफारिशों सहित प्रमुख मामलों पर अपने ‘एकमात्र विवेक’ का प्रयोग करने की ताकत देता है। उपराज्यपाल को दिल्ली विधानसभा को बुलाने, स्थगित करने और भंग करने का भी अधिकार रहेगा।
- एनसीसीएसए की सिफारिशें बहुमत पर आधारित होंगी और एलजी के पास या तो सिफारिशों को मंजूरी देने, पुनर्विचार करने के लिए कहने की शक्ति रहेगी, या उपरोक्त किसी भी मामले पर मतभेद के मामले में एलजी का निर्णय अंतिम होगा।
- सचिव संबंधित मंत्री से परामर्श करने के लिए बाध्य नहीं होंगे और मामले को सीधे उपराज्यपाल के संज्ञान में ला सकते हैं।
- यह उपराज्यपाल को प्रमुख विधायी और प्रशासनिक मामलों पर अंतिम निर्णय लेने का अधिकार देता है, जिससे दिल्ली सरकार की शक्तियां कम हो जाएंगी।
- यह भारत के राष्ट्रपति को संघ सूची से संबंधित संसद के किसी भी कानून के लिए अधिकारियों, बोर्डों, आयोगों, वैधानिक निकायों या पदाधिकारियों को नियुक्त करने का अधिकार देता है।
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