नवल टाइम्स न्यूज़: कल दिनांक 15 अक्टूबर 2023 को राजकीय महाविद्यालय चिन्यालीसौड़, उत्तरकाशी के बीएससी तृतीय सेमेस्टर वनस्पति विज्ञान के छात्र-छात्राओं को एकदिवसीय शैक्षणिक भ्रमण पर वनस्पति विज्ञान के विभाग प्रभारी डॉ अशोक कुमार अग्रवाल के निर्देशन में देवलसारी ले जाया गया।

देवलसारी टिहरी जनपद में टिहरी – मसूरी मार्ग पर करीब 1600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। देवलसारी अपनी जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है, और यह क्षेत्र करीब 30 किलोमीटर के दायरे में फैला है। मुख्य सड़क से करीब डेढ़ किमी पैदल चलकर इस जैव विविधता स्थल की शुरुआत होती है।

यह पहला ऐसा पर्यटक स्थल है जहां जाकर पर्यटक और प्रकृति प्रेमी जैव विविधता और प्रकृति दोनों को एक साथ नजदीक से महसूस कर सकते हैं।

यहां पर विभिन्न प्रकार की वनस्पति प्रचुर मात्रा में पाई जाती है, जिनमें प्रमुख रूप से विभिन्न प्रकार के ब्रायोफाइटा, टेरिडोफाइट्स, जिम्नोस्पर्म, ऑर्किड, एपिफाइट्स, बरबरी की झाड़िया, ओक, बुरांश और देवद्वार प्रमुख है ।

देवलसारी की पहचान दिलाने और यहां की जैव विविधता को सुरक्षित रखने में देवल सारी पर्यावरण एवं विकास संस्थान ने मुख्य भूमिका निभाई है।

इस संस्थान के निदेशक श्री अरुण प्रसाद ने हमारे आग्रह पर पूरे समय हमारे साथ रहे और देवलसारी की जैव विविधता के बारे में छात्र-छात्राओं को विस्तार से जानकारी दी।

जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध यह पर्यटक स्थल शोध के लिए भी महत्वपूर्ण है। देवलसारी क्षेत्र को उत्तराखंड का पहला जैव विविधता विरासत स्थल घोषित कर जाने की भविष्य में संभावना है। इस दिशा में निरंतर कार्य चल रहा है।

मेरा मानना है कि देवलसारी क्षेत्र जैव विविधता से समृद्ध है, क्योंकि यहां विभिन्न प्रकार की वनस्पति, पक्षी, तितलियां, कीट पतंगे और जानवर पाए जाते हैं।

इस क्षेत्र में इको टूरिज्म की भी काफी संभावनाएं हैं, यदि इसे भविष्य में जैव विविधता विरासत स्थल घोषित किया जाता है तो यहां पर दुर्लभ प्रजातियों का संरक्षण बेहतर तरीके से किया जा सकेगा और यह स्थान विश्व विख्यात जैव विविधता स्थल के रूप में जाना जाएगा।