• आईआईटी रुड़की: ब्रह्मांडीय रेडियो पल्सर में प्रत्याशित बदलाव का लगाया पता
  • ब्रह्मांडीय घडि़यो में दिखी अप्रत्याशित घटना

रुड़की इंडियन पल्सर टाइमिंग एरे (इनपीटीए) टीम के खगोलविदों के लिए यह गौरव की घड़ी है। उन्होंने एक बहुत वर्सेटाइल, सेन्सिटिव और उन्नत विशालकाय मीटर वेव रेडियो टेलीस्कोप (यूजीएमआरटी) की मदद से रेडियो पल्सर में एक अभूतपूर्व बदलाव का पता लगाया है।

इनपीटीए आईआईटी रुड़की सहित कई प्रतिष्ठित संस्थानों के भारतीय और जापानी खगोलविदों का साझा संगठन है। इससे पूर्व इसी साल इनपीटीए इंटरनेशनल पल्सर टाइमिंग ऐरे (IPTA) कंसोर्शियम में शामिल किया गया।

इस अंतर्राष्ट्रीय सहयोग संगठन का लक्ष्य अब तक पकड़ से परे नैनोहर्ट्ज गुरुत्वाकर्षण तरंगों को पकड़ना है।

ब्रह्मांड के मुख्य आकर्षणों में एक पल्सर (पल्सेटिंग रेडियो स्टार्स) बहुत घने मृत तारे हैं जो हर तारे के एक घूर्णन पर रेडियो फ्लैश के साथ आकाशीय प्रकाश स्तंभ के रूप में दिखते हैं। अवधि और आकार के लिहाज से इस चमकते रेडियो सिग्नल या पल्स में बेजोड़ स्थिरता दिखती है। उनके पल्स के स्थिर आकार को उनकी उंगलियों के निशान के रूप में देखा जाता है और यह घड़ी की तरह बारीक और सटीक पल्स टिक प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है।

नैनोहर्ट्ज (nHz) गुरुत्वाकर्षण तरंगों का क्षणिक पता लगाने हेतु पल्सरों के समूह के लिए समय के इस टिक को मापना जरूरी है।

यूजीएमआरटी की मदद से इनपीटीए एक पल्सर समूह का निरंतर अवलोकन करता है ताकि नैनोहर्ट्ज गुरुत्वाकर्षण तरंगों का पता लगे। पल्सर समूह जिनका निरंतर अवलोकन किया जा रहा है उनमें सबसे विश्वसनीय घडि़यों में एक पीएसआर जे 1713$747 है। अप्रैल और मई 2021 में अनवरत अवलोकन किया गया और इसके बाद इस तारे में फिंगरप्रिंट बदलने का सशक्त साक्ष्य मिला जिससे इसकी लय और घड़ी के व्यवहार में बदलाव आया है।

इस घटना के बाद परिवर्तनों पर नजर रखने के लिए इनपीटीए टीम ने पल्सर का अवलोकन जारी रखा। केवल यूजीएमआरटी से मिलने वाले लो रेडियो फ्रीक्वेंसी अवलोकन से टीम इस निष्कर्ष पर पहुची है कि इस घटना में जो परिवर्तन दिखा है वह अब तक के पीटीए प्रयोगों में प्रयुक्त किसी अन्य पल्सर घड़ी से कहीं अधिक बड़ा है।

इन प्रयोगों में अवलोकन का सटीक समय होना आवश्यक है इसलिए इन बदलावों को ध्यान में रख कर नैनोहर्ट्ज गुरुत्वाकर्षण तरंगों का पता लगाने में विश्वसनीयता आएगी। इनपीटीए टीम को लगता है कि यह पल्सर के बाहरी हिस्से में बहुत ही मजबूत और जटिल चुंबकीय क्षेत्र बनने में बदलाव का प्रतीक है।

इसके अतिरिक्त यूजीएमआरटी के अवलोकनों से यह देखने में मदद मिलेगी कि इस अप्रत्याशित और विशेष अभिरुचि की इस घटना के पीछे के क्या रहस्य हैं और इसके परिणामस्वरूप नैनोहर्ट्ज (एनएचजेड) गुरुत्वाकर्षण तरंगों का पता लगाने में मदद मिलेगी।

आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर अजीत के. चतुर्वेदी ने कहा कि इस खोज के लिए हमारे छात्रों ने यूजीएमआरटी की मदद से इस क्षेत्र में बड़ा योगदान देकर हमारा मान बढ़ाया है।
इस उपलब्धि पर आईआईटी रुड़की के पीएचडी छात्र जयखोम्बा सिंघा ने कहाकि नैनोहर्ट्ज गुरुत्वाकर्षण तरंगों को जानने की दिशा में यह नई खोज हमारे शोध की बड़ी उपलब्धि है।

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