विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर अंतिमा कुमारी “अनन्त”  का काव्यात्मक बधाई एवं शुभकामना संदेश

उठो जागो मानव विश्व के, ये धरा पुकारती,

वसुंधरा हैं पुकारती, पुकारती मां धरती।

उठो जागो मानव विश्व के, ये धरा पुकारती,

वसुंधरा हैं पुकारती,पुकारती मां धरती।

काट दिया हैं जंगलों को,

मिटा प्रकृति श्रृंगार को,

इस धरा पर मिटा दिया हैं,

पारिस्थितिक तंत्र को।

वसुंधरा नष्ट हुई तो मिटेगी,

सुख-शांति जीवजाल की।

वसुंधरा हैं पुकारती, पुकारती मां धरती।

हर समय हैं छेड़खानी, चहूंऔर विनाश की।

अपने पैरों रखी कुल्हाड़ी,

भविष्य की न आस की।

हम जागे नहीं तो जल्द,

आयेगी घड़ी विनाश की।

वसुंधरा हैं पुकारती, पुकारती मां धरती।

राह बदलकर नदी-नालों की,

खोद दिये पहाडों को।

पशु-पक्षियों की तक न सोची,

कैसे सुनेंगे सिंह की दहाडों को ।

बचा पाये तो बच जायेंगी,

कहानी प्राणीजाल की।

वसुंधरा हैं पुकारती, पुकारती मां धरती।

 

आज विश्व पर्यावरण दिवस व हमारे संगीत गुरू, तबला वादक ,भारतीय देव संस्कृति के प्रचारक, राष्ट्र, धर्म व समाजसेवी, मेरे मार्गदर्शक आदरणीय श्री देवेन्द्र कुमार सक्सेना जी का जन्मदिन भी है उनको जन्मदिवस की काव्यमयी बधाइयाँ।

सद्पुरूष प्रतिदिन,

पर्यावरण ,धर्म -समाज- संस्कृति सेवी, संगीत साधक

पूज्य गुरूवर राजकीय कला कन्या महाविद्यालय के तबलावादक श्री देवेन्द्र जी को,

साठवें जन्मदिन की हार्दिक बधाइयाँ।

मार्गदर्शक बनकर जो हम जैसे,

हजारों अबोध, अज्ञानियों को,

जीवन जीने की कला का अनमोल ज्ञान दिये।

उन्हीं के आशीष, सदप्रेरणा से,

प्रतिभा अपनी मैंने संवार ली ।

वसुंधरा हैं पुकारती ,पुकारती मां धरती।

ऐसे सद्पुरूष पर भगवन,

हमेशा कृपा बनाये रखना।

दु:ख,कष्ट कोसों दूर हों,

जीवन मंगलमय कर देना।

हर जन्म में तीन मार्गदर्शक मिले,

श्रद्धेय प्रेरणा शर्मा जी, श्रद्धेय संगीता सक्सेना जी,

सद्गुरू देवेन्द्र सक्सेना जी ।

शुभाकांक्षी: अंतिमा कुमारी “अनन्त”